काम के बदले यौन शोषण, ‘एक सामाजिक कलंक’

Edited By ,Updated: 18 Jan, 2024 05:55 AM

sexual exploitation in exchange for work  a social stigma

सोशल मीडिया पर चर्चित खबरों के अनुसार ग्वालियर में एक महकमे में नौकरी के लिए हुए इंटरव्यू में शामिल होने वाली लड़कियों से सैक्स की डिमांड की गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला 3 जनवरी 2024 को ग्वालियर स्थित एक कृषि विश्वविद्यालय में एक निगम...

सोशल मीडिया पर चर्चित खबरों के अनुसार ग्वालियर में एक महकमे में नौकरी के लिए हुए इंटरव्यू में शामिल होने वाली लड़कियों से सैक्स की डिमांड की गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला 3 जनवरी 2024 को ग्वालियर स्थित एक कृषि विश्वविद्यालय में एक निगम द्वारा निकाली गई भर्ती के लिए आयोजित हुए इंटरव्यू से जुड़ा है। एक अधिकारी ने नौकरी देने के लिए इंटरव्यू में शामिल हुई कम-से-कम 3 लड़कियों को फोन एवं मैसेज किया और नौकरी देने के लिए उनसे सैक्स की डिमांड की। इसके बाद पीड़िता ने ह्वाट्सऐप मैसेज का स्क्रीनशॉट लेकर ग्वालियर पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। काम या फिर नौकरी के बदले सैक्स मांगना एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। हाल ही में भयंकर गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे दक्षिण अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे में एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। 

दक्षिण अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे सालों से भयंकर गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा है। देश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है। ऐसे में निराश होकर युवा रिश्वत के रूप में कुछ पैसे देकर निम्न स्तर की नौकरियां करने पर मजबूर हैं। इन हालातों के बीच जिम्बॉब्वे में लड़कियों के लिए मुश्किलें और ज्यादा हैं। वहां नौकरी पाने के लिए नौकरी देने वालों से सैक्स करना पड़ रहा है। इस देश के युवाओं को नौकरी पाने के लिए मालिक से शारीरिक संबंध बनाने पड़ रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अब इस देश में तेजी से युवा एड्स जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं। 

इस देश के 1 करोड़ 40 लाख लोगों में से अधिकांश लोग आजीविका के लिए किसी न किसी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं क्योंकि देश में लोगों को कोई नौकरी नहीं मिल रही जिसके चलते मालिक इसका फायदा उठा कर उन्हें हवस का शिकार बना रहे हैं। अन्य देशों में भी हालात ऐसे ही हैं। अपुष्ट खबरों के अनुसार, विदेशों में स्टडी के लिए जाने वाली अनेक एशिया की लड़कियों को खर्चा निकालने के लिए शरीर बेचना पड़ रहा है। इसी के साथ जुड़ा एक और पहलू है देश में अनेक जगह नौकरीपेशा महिलाओं के साथ दफ्तर में यौन शोषण की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। इस बिंदू पर कुछ समय पहले, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट आई है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि देश के अलग-अलग राज्यों के दफ्तरों में महिलाओं के साथ यौन शोषण हो रहा है। सबसे बड़ी बात कि यौन शोषण के लाख-दो लाख नहीं बल्कि पूरे 70.17 लाख मामले सामने आए हैं। 

इस रिपोर्ट के अनुसार, नौकरीपेशा महिलाओं के साथ दफ्तर में सबसे ज्यादा यौन शोषण के मामले दिल्ली से सामने आए हैं। यहां से 11.2 लाख शिकायतें सामने आई हैं, जिनमें महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उनके साथ दफ्तर में यौन शोषण हुआ है। वहीं दूसरे नंबर पर पंजाब है। पंजाब में इस तरह की कुल 10.5 लाख शिकायतें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को मिली हैं। जबकि गुजरात इस मामले में तीसरे नंबर पर है। यहां 10.4 लाख महिलाओं ने दफ्तर में अपने साथ होने वाले यौन शोषण को लेकर शिकायत दर्ज की है। चौथे नंबर पर आंध्र प्रदेश है, जहां 9.31 लाख महिलाओं ने ये शिकायत की है। 

5वें नंबर पर उत्तर प्रदेश है यहां कुल 5.53 लाख महिलाओं ने शिकायत की है कि उनके साथ ऑफिस में यौन शोषण हुआ है। इसके बाद झारखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार और मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहां कामकाजी महिलाओं के साथ ऑफिस में सबसे ज्यादा यौन शोषण हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार देशभर में काम करने वाली लगभग 50 फीसदी महिलाएं कम से कम एक बार अपने करियर लाइफ में यौन शोषण का शिकार हुई हैं। यहां तक कि बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो इस अपराध का शिकार हुई हैं, लेकिन लोक-लाज के डर से वह शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं। दूसरी सबसे बड़ी बात कि यौन शोषण के मामले में देश की टॉप 100 कंपनियां भी पीछे नहीं हैं, यहां से बहुत से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें यहां काम करने वाली महिलाओं के साथ यौन शोषण हुआ है।

काम के बदले में सैक्स की डिमांड एक सामाजिक कलंक है यह दिक्कत हमारे सामाजिक व्यभिचार के रूप में बहुत अधिक फैल रही है सैक्स की डिमांड, काम की चाहवान और नौकरी पेशा महिलाओं के यौन शोषण का जरिया बन चुका है आम तौर पर इस का शिकार महिलाएं सामाजिक इज्जत और पारिवारिक कारणों के चलते मुखर नहीं हो पाती हैं। याद रहे कि आज भी काम की तलाश वाली और कामकाजी महिलाओं के लिए, यह दुनिया उतनी सरल नहीं है जितनी आदर्शवादी लोग कहते हैं। पहले वह घरों और स्कूलों में हिंसा और यौन उत्पीडऩ का शिकार होती हैं और अब तो नौकरी से पहले और नौकरी करते वक्त भी उनको इसी दर्द से गुजरना पड़ रहा है। क्या हमारे पास इसे रोकने के तरीके हैं?-डा. वरिन्द्र भाटिया
 

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