राजाओं की ‘मंडी’ में सियासत का ‘रंगमंच’

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2024 06:00 AM

theatre of politics in the market of kings

देश के 18वें लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की एक सीट ‘मंडी’ ने देश का ध्यानाकर्षित तो किया ही है, वहीं बॉलीवुड की राजनीति में धमाकेदार एंट्री से मंडी खूब खनक रहा है। जो मंडी कभी राजाओं की मंडी हुआ करती थी, वहां रंगमंच की सियासत नया गुल खिला रही...

देश के 18वें लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की एक सीट ‘मंडी’ ने देश का ध्यानाकर्षित तो किया ही है, वहीं बॉलीवुड की राजनीति में धमाकेदार एंट्री से मंडी खूब खनक रहा है। जो मंडी कभी राजाओं की मंडी हुआ करती थी, वहां रंगमंच की सियासत नया गुल खिला रही है। भाजपा ने इस बेहतरीन व पहले से ही अत्यंत सुविधाजनक सीट पर बॉलीवुड राजपूत अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी जंग में उतार कर कई विवाद मोल ले लिए हैं। 

यूं तो भाजपा के लिए यह सीट इसलिए भी सुविधाजनक थी क्योंकि मंडी जिले की 10 में से 9 विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में पहले ही थीं और मंडी संसदीय सीट की बाकी विधानसभा सीटों पर वर्ष 2022 में भाजपा का वोट मतांतर बहुत ही कम था। लेकिन इस सीट से कंगना रनौत को उतार कर अचानक भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर विवादों में तो घिर  ही गई, वह भी तब जब सीधा बॉलीवुड से कंगना के कई ‘ खैर ख्वाह’ पहले से ही मौजूद हैं। सोशल मीडिया पर ट्रोल होती इस एक्ट्रैस व उम्मीदवार पर हिमाचल के देव समाज का सीधा असर दिखा है। यह दीगर बात है कि कंगना का सोशल मीडिया संरक्षक बराबर की टक्कर भी दे रहा है। बहरहाल चुनावी राह और सैलीब्रिटी सिलेबस, दोनों अपनी अपनी जगह हैं। लेकिन मंडी से अभी तक कांग्रेस ने अपने पत्ते उम्मीदवार को लेकर साफ नहीं किए हैं। ज्यों ही प्रत्याशी घोषित होगा या होगी, तब ही स्टार  दौर नए स्वरूप में होगा। 

हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट की सियासत विवादित भी रही है और दिलचस्प भी क्योंकि यहां से लडऩे वाले कभी भी सामान्य परिवेश से नहीं थे। राजसी घरानों से महेश्वर सिंह तीन बार, वीरभद्र सिंह 2 बार, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह दो बार, केंद्रीय मंत्री रहे पंडित सुखराम तीन बार सांसद रहे। वीरभद्र बुशहर रियासत के, महेश्वर कुल्लू के और सुखराम मंडी जिला से ताल्लुक रखते हैं और तो और यहां से जयराम ठाकुर भी हार गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने मंडी से ऐसी पकड़ बनाई कि संघ से जुड़े रामस्वरूप, बेहतरीन मतों से 2019 में जीत गए। परंतु जब उन्होंने दिल्ली में फंदा लगा कर आत्महत्या की तब फिर, प्रतिभा सिंह 49.23 प्रतिशत मत लेकर जीत गईं। हालांकि तब प्रदेश में भाजपा की जयराम सरकार थी। कुल मिलाकर मंडी सीट पर चुनाव हर बार नई दिशा व दशा लेकर आता है। भाजपा ने सैलीब्रिटी कंगना पर दाव लगाया है। हालांकि कंगना की उम्मीदवारी घोषित होने से पहले ही प्रतिभा सिंह ने चुनाव न लडऩे का ऐलान कर दिया था। माना जा रहा था कि प्रतिभा, मोदी लहर के चलते आगे नहीं आना चाहती थी। इसीलिए उन्होंने मंडी से कार्यकत्र्ताओं की अपनी सरकार में अनदेखी की बात भी की। 

इसी बीच कंगना का दिल्ली से ऐलान होते ही सोशल मीडिया की कमैंट्री व धूम-धड़ाम के बीच मंडी की सीट सुपर हॉट बन गई। मंडी के कार्यकत्र्ता सुपर स्टार को साक्षात सामने देख सन्न थे तो वहीं मंडी में पार्टी के वरिष्ठ नेता कंगना की छाया भर रह गए। तेज-तर्रार कंगना ने आरोपों का खंडन मंडयाली में किया तो सही, लेकिन सरकाघाटी व बिलासपुरी मिश्रित बोली से, पांगी, लाहौल, रामपुर, छतरी, सराज व मंडी स्थानीय बोली बोलने वाले वोटर अचरज थे क्योंकि कंगना की अगली चुनौती इन बोलियों को बोलना भी होगा। दरअसल मंडी संसदीय सीट में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें चार कुल्लू जिला के, चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति व शिमला की एक-एक विधानसभा सीट है। मंडी की 9 सीटें हैं यानी मंडी संसदीय क्षेत्र में 6 जिले आते हैं और इन सभी 6 जिलों की बोलियां अलग-अलग हैं। इन 17 विधानसभा सीटों में दोनों दलों में कांटे की टक्कर है। परंतु सराज में जयराम की सीट, मंडी में अनिल शर्मा की सीट, भरमौर से जनकराज की सीट और सुंदरनगर से राकेश जमवाल की भाजपाई सीटों से पार्टी को बहुत बड़ा वोट शेयर मिलता है। 

मंडी जिला की इन्हीं सीटों से कंगना का वजन बढ़ता भी है। लेकिन मुश्किलें भी कम नहीं। ज्यों-ज्यों प्रचार परवान चढ़ेगा, कांग्रेस जम कर वार करेगी। कंगना की तस्वीरों को लेकर हो या मुंहफट बयानबाजी या खान-पान को लेकर संघ व पार्टी विचारधारा के विपरीत पुराने मसले, इनकी मुश्किलें खड़ी करेंगे। देखना यह है कि रनौत की सोशल मीडिया मैनेजमैंट व रंगमंच की हवाओं के बीच क्या लोग मंडी में मोदी लहर व चेहरे को जिंदा रख पाएंगे? या मंडी सैलीब्रिटी बॉलीवुड व विवादों को दर-किनार करके जयराम सरीखे साधारण नेता व मोदी के विकास को आत्मसात करेंगे?-डा. रचना गुप्ता

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