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हिन्दुओं का‘कत्लेआम’ क्यों देखते रहे भाजपा-मोदी

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2020 03:46 AM

why bjp modi kept watching the massacre of hindus

दिल्ली देश की राजधानी है जहां पर प्रधानमंत्री बैठते हैं, गृह मंत्री बैठते हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार को हिन्दुओं की सरकार कहा जाता है। कभी नरेन्द्र मोदी भी हिन्दुओं की अस्मिता के बल पर राजनीति के सिरमौर बने थे। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री भी हिन्दुओं...

दिल्ली देश की राजधानी है जहां पर प्रधानमंत्री बैठते हैं, गृह मंत्री बैठते हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार को हिन्दुओं की सरकार कहा जाता है। कभी नरेन्द्र मोदी भी हिन्दुओं की अस्मिता के बल पर राजनीति के सिरमौर बने थे। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री भी हिन्दुओं की एकता के कारण बने थे। दिल्ली के हिन्दुओं ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी को समर्थन दिया था, इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में डाली थीं।

दिल्ली के हिन्दुओं को यह कभी आशंका नहीं थी कि उन्हें संकट के समय में नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और भाजपा मदद के लिए आगे नहीं आएंगे। जब उनका सुनियोजित कत्लेआम किया जाएगा तब नरेन्द्र मोदी की सरकार तमाशबीन बनी रहेगी, कत्लेआम करने वाले दंगाइयों को पूरी छूट दे देगी, नरेन्द्र मोदी की सरकार की पुलिस तमाशबीन रहेगी, नरेन्द्र मोदी सरकार की गुप्तचर एजैंसियां नाकाम रहेंगी, उन्हें सुनियोजित कत्लेआम की पूर्व सूचना ही नहीं होगी? 

अब दिल्ली के हिन्दू दो तरह की सोच का उत्तर खोजने की कोशिश करने में लगे हैं। पहली सोच उनकी यह है कि अगर उनका कत्लेआम पूर्व नियोजित था तो फिर दिल्ली पुलिस और अन्य गुप्तचर एजैंसियों को पूर्व सूचना क्यों नहीं मिल पाई थी? दूसरी सोच यह है कि अगर दिल्ली पुलिस और अन्य गुप्तचर एजैंसियों को उनके कत्लेआम की पूर्व सूचना थी तो फिर उनके कत्लेआम को रोकने की जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी सरकार ने क्यों नहीं उठाई? तटस्थ हिन्दू भी डरे हुए हैं। जो तटस्थ हिन्दू भाजपा के समर्थक नहीं थे और कांग्रेस, कम्युनिस्ट तथा अरविन्द केजरीवाल के समर्थक थे उनकी भाषा बदल गई है, वे भी अब अपने आप को असुरक्षित समझ रहे हैं। उनकी भी सोच यही है कि तथाकथित धर्मनिरपेक्षता क्या हिन्दुत्व को समाप्त करने के लिए है, हिन्दुओं का कत्लेआम कराने के लिए है? 

कुछ ही सड़कों पर से 50 टन पत्थर उठाया जा चुका
स्वतंत्र समीक्षा यही है कि यह दंगा नहीं था बल्कि हिन्दुओं का कत्लेआम था। बंदूकें किन लोगों ने चलाईं, छोटे हथियार किन लोगों ने चलाए, देशी रॉकेट लांचर किन लोगों ने चलाए, आई.बी. के नौजवान के शरीर को चाकुओं से गोद कर छलनी करने वाले कौन लोग थे, दिल्ली पुलिस के हवलदार रतन लाल की मौत किन लोगों की गोली से हुई, आई.पी.एस. अधिकारी किन लोगों की पत्थरबाजी में घायल हुए हैं? अब यह तो लाइव भी देखा गया है। किनके घरों में और किनकी छतों पर देशी रॉकेट लांचर पाए गए हैं, किनके घरों और छतों पर गुलेलें मिली हैं, किनके घरों की छतों पर पत्थर मिले हैं, कितने घरों और छतों पर पैट्रोल बम मिले हैं, किनके घरों और छतों पर एसिड मिला है? 

ट्यूशन गई 5 हिन्दू लड़कियों का किन लोगों ने अपहरण करने की कोशिश की थी, यह भी स्पष्ट हो गया है। दंगे वाले क्षेत्र में एक वर्ग के बच्चे दंगों के दिन स्कूल क्यों नहीं गए थे, यह सब भी स्पष्ट हो गया है। सड़कों पर इतने पत्थर पड़े हैं जिन्हें उठाने में दिल्ली नगर निगम को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़़ रहा है। दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी का कहना है कि सिर्फ  कुछ ही सड़कों पर से 50 टन से ज्यादा पत्थर और अन्य मलबा उठाया जा चुका है। कुछ ही सड़कों पर कोई एक नहीं, बल्कि 50 टन पत्थर और अन्य मलबा मिलना क्या संकेत देता है? संकेत तो यही देता है कि यह दंगा, यह कत्लेआम कितना भयानक था, कितना पूर्व नियोजित था, ऐसे कत्लेआम करने वाले समूह के लोग क्या शांति के कभी पक्षधर हो सकते हैं? 

कोई भी हथियार रातों-रात या फिर मिनटोंं में तैयार नहीं होते
दंगे के दिन की परिस्थितियां सिर्फ कारण नहीं रही हैं। दंगे के दिन की परिस्थितियों को कारण मानने वाले लोगों को एक नहीं बल्कि कई परिस्थितियों और कई प्रश्नों का उत्तर देना होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि कोई भी हथियार रातों-रात या फिर मिनटों में तैयार नहीं होते हैं, कई टन पत्थर कोई मिनटों में जमा नहीं हो सकते हैं, गुलेलें कोई मिनटों में तैयार नहीं होती हैं, देशी रॉकेट लांचर कोई मिनटों में तैयार नहीं होते हैं, दीवारों में रॉकेट लांचरों को फिक्स करने का कार्य मिनटों में नहीं होता है, पैट्रोल बम मिनटों में तैयार नहीं होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कोई शांतिप्रिय व्यक्ति इस तरह के खतरनाक और विनाशक हथियारों का निर्माण नहीं कर सकता है और न ही इस तरह के विनाशक हथियारों का संग्रह कर सकता है।

कोई आतंकवादी संगठन, कोई अपराधी समूह और कोई हिंसक समूह ही देशी राकेट लांचर, देशी गुलेलें, पैट्रोल बम बना सकते हैं, ऐसे समूह ही एसिड जमा कर सकते हैं, ऐसे समूह ही एसिड अटैक कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी खतरनाक और विनाशक हथियार जिससे हिन्दुओं का कत्लेआम हुआ है कोई सभी घरों में तो नहीं बने होंगे, कहीं एक-दो जगहों पर ही बने होंगे? फिर ऐसे खतरनाक और विनाशक हथियार कहां बने होंगे, बनाने वाले कौन लोग होंगे और फिर ऐसे खतरनाक और विनाशक हथियारों को घर-घर कैसे पहुंचाया गया होगा, घर-घर पहुंचाने वाले कौन लोग होंगे? 

अब जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, जिनके घरों में ये सभी हथियार मिले हैं और जिन पर हिन्दुओं के कत्लेआम के आरोप लगे हैं वे तर्क कैसे दे रहे हैं, यह भी देख लीजिए। उनका कहना है कि उनके घर में तबाही के जो खतरनाक और विनाशक हथियार मिले हैं वे कहां से आए यह उन्हें नहीं मालूम है, उनके घरों की छतों से कौन लोग पत्थरबाजी कर रहे थे, कौन लोग रॉकेट लांचर फैंक रहे थे, कौन लोग एसिड फैंक रहे थे, यह भी नहीं मालूम है। वेे कह रहे हैं कि बाहरी लोग थे, पर बाहरी लोग कैसे उनके घरों में जमा किए गए थे, वे यह बताने के लिए तैयार नहीं हैं। अब जो मीडिया में लाइव तस्वीरें आई हैं और जो वीडियो वायरल हुए हैं, उससे स्पष्ट है कि कोई एक-दो दिन की यह कारस्तानी नहीं थी, बल्कि महीनों से इसकी तैयारी थी। सिर्फ आम आदमी पार्टी का मुस्लिम पार्षद ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के पूर्व पार्षद की दंगाई भूमिका के सारे प्रमाण हैं। 

95 प्रतिशत हिन्दू ही कत्लेआम के शिकार हैं
अभी दिल्ली पुलिस दंगों में मारे गए लोगों के नामों का खुलासा नहीं कर रही है, पर जब खुलासा करेगी तब लोग न केवल अचंभित होंगे, बल्कि उनके अंदर डर भी कायम हो जाएगा। यह सबको मालूम है कि 95 प्रतिशत हिन्दू ही कत्लेआम के शिकार हैं। मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 2-4 लोग ही मृत्यु के शिकार होंगे। जिस तरह का खेल पहले होता था उसी प्रकार का खेल अब भी हो रहा है। हिन्दुओं के कत्लेआम के गुनहगारों को बचाने की कोशिश हो रही है। कपिल मिश्रा को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। जिस तरह का बयान कपिल मिश्रा ने दिया था उससे भी खतरनाक बयान तो रोज मुस्लिम नेता दे रहे थे,  उस तरह के बयान तो शाहीन बाग में बैठे मुस्लिमों के नेता दे रहे थे। कपिल मिश्रा ने तो सिर्फ  चेतावनी दी थी, तीन दिनों में रास्ते खुलवाने का अल्टीमेटम दिया था। कपिल मिश्रा के प्रदर्शन समूह पर पत्थरबाजी और दंगा तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शुरू किया था। 

दिल्ली के हिन्दू बेहद डरे हुए हैं। वे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से अपनी सम्पत्ति बेच कर भागने लगेंगे। कत्लेआम का शिकार कौन होना चाहेगा? मुस्लिम  बहुल क्षेत्रों में रहने का अब अर्थ कभी भी कत्लेआम का शिकार होना हो गया है। मुस्लिम अपराधियों ने जिस तरह कैराना में हिन्दुओं के साथ सलूक किया था और कैराना से हिन्दुओं को भगानेे में सफल भी हुए थे उसी तरह की स्थिति अब दिल्ली में बनी है। हिन्दुओं के सामने अब विकल्प क्या है? पहले भाजपा और मोदी पर उन्हें विश्वास था, पर अब भाजपा और मोदी भी दिल्ली में हिन्दुओं के कत्लेआम पर तमाशबीन बने रहे। विपक्षी पार्टियां पहले से ही हिन्दू विरोधी और मुस्लिम पक्षीय थीं। अगर हिन्दुओं में डर का समाधान नहीं किया गया तो फिर हिन्दू भी कट्टरवाद के रास्ते पर चल सकते हैं। भाजपा और मोदी के लिए भी आत्ममंथन का समय है।-विष्णु गुप्त
 

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