अगले वित्त वर्ष में बैंकों की खुलेंगी 15,000 नई शाखाएं

Edited By vasudha,Updated: 18 Jan, 2020 09:47 AM

15 000 new branches of banks to be opened in next financial year

आबादी के बड़े हिस्से को बैंकिंग सेवाओं के दायरे में लाने के लिए केन्द्र सरकार बैंकों की शाखाओं की संख्या बढ़ाना चाहती है। इसके लिए उसने बैंकों को ऐसे स्थानों की सूची भेजी है, जहां वे अपनी शाखाएं खोल सकते हैं। इसमें सरकारी और निजी दोनों ही बैंक शामिल...

बिजनेस डेस्क: आबादी के बड़े हिस्से को बैंकिंग सेवाओं के दायरे में लाने के लिए केन्द्र सरकार बैंकों की शाखाओं की संख्या बढ़ाना चाहती है। इसके लिए उसने बैंकों को ऐसे स्थानों की सूची भेजी है, जहां वे अपनी शाखाएं खोल सकते हैं। इसमें सरकारी और निजी दोनों ही बैंक शामिल हैं। मामले से जुड़े 3 लोगों ने इसकी जानकारी दी है।

 

इस सूची में शामिल भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.), बैंक ऑफ बड़ौदा, एच.डी.एफ.सी. बैंक और आई.सी.आई.सी.आई. बैंक आदि को सरकार की तरफ से आने वाले साल में 14,000 से 15,000 शाखाएं खोलने का दिशा-निर्देश दिया गया है। इस बैठक में शामिल होने वाले एक बैंकर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि यह आदेश वित्त मंत्रालय की तरफ  से आया है कि जिस गांव में कोई बैंक नहीं है, उसके 15 किलोमीटर के दायरे में बैंक सुविधा मुहैया करवाई जाए। शाखाएं मंत्रालय द्वारा सुझाई गई जगहों पर ही खोली जाएं। जहां भारतीय स्टेट बैंक जैसे सरकारी बैंकों को 1,500 शाखाएं खोलनी हैं, वहीं निजी बैंक को 600 से 700 शाखाएं खोलने के लिए कहा गया है। 

 

इस सूची में ऐसे गांव और पंचायतें शामिल हैं, जहां कोई शाखा नहीं है। इससे लोगों को आसानी से बैंकिंग सेवाएं मिल सकेंगी। मार्च 2019 तक भारत में थीं 1,20,000 बैंक शाखाएंमार्च 2019 तक भारत में 1,20,000 बैंक शाखाएं थीं। देश में 2 लाख से अधिक ए.टी.एम. थे। इनमें से सिर्फ 35,649 शाखाएं ग्रामीण भारत में थीं। रिजर्व बैंक के अनुसार ग्रामीण बैंकों को भी जोड़ लें तो ग्रामीण भारत में बैंक शाखाओं की संख्या कुल 52,000 थी जो साल 2018 की तुलना में सिर्फ  3 प्रतिशत अधिक है।

 

ग्रामीण भारत में हालात बेहतर होने की उम्मीद
बैंकों के लिए मैट्रो शहर में बैंक शाखा से सिर्फ 2 साल में मुनाफा आना शुरू हो जाता है, जबकि ग्रामीण शाखा 4 साल में अपनी लागत वसूल कर पाती है मगर रिजर्व बैंक ने शाखा खोलने और परिचालन के नियमों में ढील दी है, जिससे ग्रामीण भारत में हालात बेहतर होने की उम्मीद है। एक निजी बैंक के अधिकारी ने कहा कि सरकार चाहती है कि बैंक ऐसे इलाकों तक पहुंचे, जहां कर्ज लेने के लिए संगठित क्षेत्र नहीं है ताकि ग्राम वासियों के लिए कर्ज की लागत और ब्याज दरों को कम किया जा सके। ऐसे लोग अभी अमीर लोगों से ही कर्ज लेते हैं। रिजर्व बैंक ने साल 2017 में मिनी शाखा का प्रस्ताव पेश किया था, जिसके तहत बैंक नियामक की इजाजत के बिना ग्रामीण इलाकों में छोटी शाखा खोल सकते हैं। ऐसे इलाकों में बैंक 4 घंटे के लिए ही खुलता है इसके कामकाज के दिन भी कम होते हैं। 
 

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