150 करोड़ की टैक्स चोरी, 141 कारोबारियों को नोटिस जारी!

Edited By Supreet Kaur,Updated: 05 Oct, 2018 10:39 AM

150 crore tax evasion 141 businessmen issued notice

दिल्ली सरकार ने गहन जांच के बाद 150 करोड़ रुपए की कर चोरी पकड़ी है। इसमें 141 व्यापारियों को शामिल बताया जा रहा है। बिक्री एवं कर विभाग ने इन व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला वित्त वर्ष 2015-16 का है जो अब प्रकाश में आया है।...

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने गहन जांच के बाद 150 करोड़ रुपए की कर चोरी पकड़ी है। इसमें 141 व्यापारियों को शामिल बताया जा रहा है। बिक्री एवं कर विभाग ने इन व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला वित्त वर्ष 2015-16 का है जो अब प्रकाश में आया है। इसे देखते हुए 1938 करोड़ रुपए के सी और एफ फॉर्म तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं। विभाग ने टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों को नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि वर्तमान में 6.5 लाख व्यापारी दिल्ली में जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत हैं।

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अंतरराज्यीय खरीद बिक्री का मामला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरराज्यीय खरीद बिक्री में घपला पकड़ा गया है। दिल्ली सरकार के जीएसटी कमिश्नर एच. राजेश प्रसाद के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। गहन जांच के बाद जीएसटी कमिश्नर ने व्यापारियों से यह राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। इससे दिल्ली सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा। जांच में पता चला है कि 141 व्यापारियों ने ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया में भारी दुरुपयोग किया है। ऑनलाइन सिस्टम द्वारा कई व्यापारियों ने गलत जानकारी दी है। व्यापारियों ने भारी मात्रा में खरीद दर्शाया, लेकिन माल कहां बेचा और टैक्स कैसे चुकाया, इस पर चुप्पी साधे रखी।

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ऑनलाइन प्रक्रिया में हेराफेरी 
कई मामलों में नियमों को ताक पर रखकर ऑनलाइन प्रक्रिया में हेराफेरी की गई है। 1234.55 करोड़ रुपए के सी फॉर्म और 703.65 करोड़ रुपए के एफ  फॉर्म की गहन जांच शुरू की गई। टैक्स चोरी पकड़े जाने पर इन फॉर्म को रद्द कर दिया गया है। जिन डीलरों के फॉर्म रद्द किए गए हैं उन्होंने अंतरराज्यीय स्तर पर खरीद की है। ऐसे व्यापारियों ने अपने रिटर्न भी नहीं भरे। अब नियमानुसार उन्हें 150 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी चुकानी होगी। बता दें कि एफ  फॉर्म का इस्तेमाल एक कंपनी द्वारा स्टॉक ट्रांसफर के लिए किया जाता है, जबकि सी फॉर्म का उपयोग अंतरराज्यीय खरीद-बिक्री में किया जाता है। 

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