एएआई को पहली बार हो सकता है नुकसान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jul, 2020 04:56 PM

aai may suffer loss for the first time

देश भर में एक सौ से अधिक हवाई अड्डों का परिचालन करने वाली मिनीरत्न कंपनी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को कोविड-19 के कारण 25 साल के इतिहास में पहली बार नुकसान उठाना पड़ सकता है।

नई दिल्लीः देश भर में एक सौ से अधिक हवाई अड्डों का परिचालन करने वाली मिनीरत्न कंपनी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को कोविड-19 के कारण 25 साल के इतिहास में पहली बार नुकसान उठाना पड़ सकता है। एएआई के अध्यक्ष अरविंद सिंह ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्राधिकरण की आय में 80 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान लगभग दो महीने तक देश में नियमित यात्री विमान सेवा पूरी तरह ठप रही। 

घरेलू यात्री विमान सेवा 25 मई से दुबारा शुरू की गई है, लेकिन अब भी परिचालन कोविड-19 से पहले के स्तर की तुलना में 30 प्रतिशत पर भी नहीं पहुंचा है इसलिए, आने वाली तिमाहियों में भी राजस्व में गिरावट जारी रह सकती है। उन्होंने कहा ‘‘पहली तिमाही में राजस्व 80 प्रतिशत कम रहा है और चालू वित्त वर्ष में नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।'' वर्ष 1995 में एएआई की स्थापना के बाद से अब तक एएआई हमेशा मुनाफे में रही है। 

वित्त वर्ष 2018-19 में उसका कुल राजस्व 14,133 करोड़ रुपए और मुनाफा 2,271 करोड़ रुपए रहा था। उसकी आमदनी का 25 प्रतिशत से अधिक हवाई अड्डा नेविगेशन सेवाओं (एएनएस) के मद में प्राप्त होता है। विमान को उड़ान भरने के दौरान नेविगेशन के लिए दी जाने वाली इस सेवा से प्राप्त आय उड़ानें बंद रहने से प्रभावित हुईं। खासकर विदेशी एयरलाइन की उड़ान को एएनएस सेवा देने से काफी आमदनी होती है। एएआई की आमदनी में 30 प्रतिशत से अधिक हवाई अड्डा शुल्क के रूप में मिलता है। इसमें बड़ा हिस्सा प्रति यात्री शुल्क और प्रति उड़ान शुल्क के रूप में प्राप्त होता है। यात्री विमानों की आवाजाही बंद रहने से इन शुल्कों से आमदनी लगभग पूरी तरह समाप्त हो गई थी।

सिंह ने बताया कि विमान सेवा कंपनियों ने भी पार्किंग शुल्क तथा अन्य हवाई अड्डा शुल्कों में रियायत की मांग की है। उन्होंने कहा ‘‘बड़ी रियायत देना संभव नहीं होगा, लेकिन 25 मार्च से 24 मई तक की अवधि के लिए आंशिक राहत देने पर विचार किया जा रहा है जब यात्री विमान सेवाएं पूरी तरह ठप रही थीं।'' उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी इस पर सिफर् विचार किया जा रहा है और कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। कोविड से पहले घरेलू मार्गों पर रोजाना तकरीब 3,300 उड़ानों का परिचालन हो रहा था और यात्रियों की औसत संख्या तीन लाख के आसपास थी। दुबारा घरेलू उड़ानें शुरू होने के बाद दो महीने में उड़ानों की संख्या 800 के पार पहुंच पाई है जबकि यात्रियों की संख्या 70 हजार से भी कम है। 

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