Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jul, 2023 12:37 PM
केंद्र की मोदी सरकार ने गैर-बासमती चावल के बाद अब तेल रहित चावल की भूसी (De Oiled Rice Bran Export Ban) पर भी बैन लगाने का फैसला किया है। सरकार ने यह रोक 30 नवंबर, 2023 तक के लिए लगाया है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के द्वारा शुक्रवार...
बिजनेस डेस्कः केंद्र की मोदी सरकार ने गैर-बासमती चावल के बाद अब तेल रहित चावल की भूसी (De Oiled Rice Bran Export Ban) पर भी बैन लगाने का फैसला किया है। सरकार ने यह रोक 30 नवंबर, 2023 तक के लिए लगाया है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी दी गई है।
भारत है विश्व का बड़ा निर्यातक देश
ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत विश्व में तेल रहित चावल की भूसी का निर्यात करने वाला बड़ा देश है। भारत हर साल 10 लाख टन से अधिक चारे को विदेशों में निर्यात करता है। ऐसे में सरकार के इस फैसले का असर दुनियाभर पर पड़ेगा। तेल रहित चावल की भूसी का इस्तेमाल आमतौर पर जानवरों के चारे के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल शराब बनाने के लिए और कई बीमारियों की दवाई जैसे कोलेस्ट्रॉल,दिल, मोटापे, उच्च रक्तचाप आदि के इलाज के लिए किया जाता है।
सरकार ने क्यों लगाया बैन?
गौरतलब है कि भारत में पिछले कुछ महीनों में दूध के दामों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जानवरों के भूसे की कीमतों (Rice Bran Price) में जबरदस्त तेजी। ऐसे में चारे के दाम को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात पर बैन लगाया है। चावल की भूसी का इस्तेमाल गाय, भैंस के चारे के अलावा मुर्गी पालन और मछली पालन के उद्योग में भी किया जाता है। जानवरों के खाने में इसका 25 फीसदी तक का हिस्सा है। ऐसे में सरकार इसके निर्यात पर बैन लगाकर कीमतों को काबू में करने की कोशिश कर रही है ताकि इसका असर दूध के दामों पर भी दिखे।