Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Mar, 2019 01:08 PM
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एरिक्सन का बकाया भुगतान करने के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को दी गई चार हफ्तों की मोहलत में से आधी से अधिक समय बीतने के साथ ही अंबानी की असल मुश्किलें शुरू हो गई हैं।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट द्वारा एरिक्सन का बकाया भुगतान करने के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को दी गई चार हफ्तों की मोहलत में से आधी से अधिक समय बीतने के साथ ही अंबानी की असल मुश्किलें शुरू हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए आरकॉम के प्रमोटर अनिल अंबानी और उनका ग्रुप एरिक्सन को 453 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के उपाय (संपत्तियों की बिक्री सहित) में लगे हैं लेकिन आने वाले समय में आरकॉम की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, क्योंकि कई और लेनदार कंपनी और उसके निदेशकों से अपना बकाया वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कतार में खड़े हैं।
इन लेनदारों की याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन और विनीत सरन की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई होनी है। मॉरिशस की कंपनी एचएसबीसी डेजी इन्वेस्टमेंट्स के नेतृत्व में रिलायंस इंफ्राटेल के माइनॉरिटी इन्वेस्टर्स के एक समूह ने अनिल अंबानी, आरकॉम तथा ग्रुप की अन्य कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। स्पेशल लीव पेटिशन न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आने की उम्मीद है, जिसने 20 फरवरी को एरिक्सन मामले में आदेश पारित किया था।
अवमानना याचिका पर जवाब अंबानी और आरकॉम के अलावा, आरकॉम के निदेशकों दीपक शौरी, राज नारायण भारद्वाज, पुनीत गर्ग, ए.के. पुरवार, जयरमण रामचंद्रन, मंजरी अशोक काकेर, मनिकांतन विश्वनाथन, रायना करानी, छाया विरानी, सुरेश रंगाचार तथा कंपनी के सचिव प्रकाश शेनॉय को देना है।
एरिक्सन की तरह ही आरकॉम की टावर शाखा के माइनॉरिटी इन्वेस्टरों एचएसबीसी डेजी इन्वेस्टमेंट्स, ड्रॉब्रिज टावर्स, गैलियॉन स्पेशल अपॉरचुनिटीज फंड ऐंड क्वांटम भी लंबे समय से अंबानी और उनकी कंपनी के खिलाफ नैशल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल, उसके अपीलीय निकाय और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं। इन निवेशकों ने 230 करोड़ रुपए के बकाया का दावा किया है और कई बार कोर्ट के बाहर मामला सुलझाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन नाकाम रहे।
रिलायंस इन्फ्राटेल, एचएसबीसी डेजी और अन्य के बीच हुए समझौते की शर्तों के मुताबिक, रिलायंस इन्फ्राटेल को बकाये की रकम अगले छह महीने के भीतर अदा करनी है।