Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Nov, 2022 10:41 AM
कश्मीर में चालू सत्र के दौरान सेब का बंपर उत्पादन उत्पादकों को खुश करने में विफल रहा है और उनकी उपज में पिछले साल की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारी नुकसान का सामना कर रहे सेब किसानों ने अब सरकार से समर्थन की मांग
बिजनेस डेस्कः कश्मीर में चालू सत्र के दौरान सेब का बंपर उत्पादन उत्पादकों को खुश करने में विफल रहा है और उनकी उपज में पिछले साल की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारी नुकसान का सामना कर रहे सेब किसानों ने अब सरकार से समर्थन की मांग की है। कश्मीरी सेब सितंबर में तब सुर्खियों में आया था, जब एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार आजादपुर मंडी समेत घाटी के बागानों से केंद्र शासित प्रदेश के बाहर के बाजारों तक इसके परिवहन में बार-बार व्यवधान आने पर हंगामा हुआ था।
कश्मीर देश में कुल सेब की फसल का लगभग 75 प्रतिशत उत्पादन करता है और इसे अपनी अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानता है। यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 8.2 प्रतिशत का योगदान देता है। चैंबर ऑफ आजादपुर फल एवं सब्जी व्यापारी अध्यक्ष मेथा राम कृपलानी ने बताया, ‘‘इस सत्र में कश्मीर से आने वाले सेब की दरें वर्ष 2021 की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है। सरकारी समर्थन के बिना नुकसान को दूर करना उनके लिए बहुत मुश्किल है।''
कृपलानी दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के सदस्य और कश्मीर एप्पल मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कीमतों में कमी के कई कारण बताए। उन्होंने कहा, ‘‘चालू सत्र में अच्छी गुणवत्ता वाली बंपर फसल हुई थी लेकिन पिछले साल की तुलना में पैकेजिंग और परिवहन शुल्क जैसे खर्च लगभग दोगुने हो गए हैं। दरें सीधे आपूर्ति और मांग से जुड़ी हुई हैं और आपूर्ति अधिक है, इसलिए उत्पाद की दर लगभग 30 प्रतिशत कम हो गई है।''
कश्मीर की आधी से ज्यादा आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बागवानी उद्योग से जुड़ी हुई है। इसकी खेती 1.45 लाख हेक्टेयर भूमि में की जाती है। कश्मीर घाटी फल उत्पादकों और डीलर्स यूनियन के बडगाम जिला अध्यक्ष बाबा ने कहा, ‘‘सरकार को आगे आना होगा और हमें बचाना होगा, अन्यथा मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारी नुकसान से उबरना बहुत मुश्किल है।''