व्यापारिक संगठनों, उद्योग निकायों और सरकार को उम्मीद, भारत में खपत से ज्यादा होगा चीनी का उत्पादन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Sep, 2023 11:32 AM

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अक्टूबर से शुरू होने वाले 2023-24 चीनी सत्र में चीनी की वैश्विक मांग की तुलना में आपूर्ति कम रहने की संभावना है। वहीं भारत के ज्यादातर व्यापारिक संगठनों, उद्योग निकायों और यहां तक कि सरकार का भी मानना है कि मांग की तुलना में भारत में चीनी की आपूर्ति...

नई दिल्लीः अक्टूबर से शुरू होने वाले 2023-24 चीनी सत्र में चीनी की वैश्विक मांग की तुलना में आपूर्ति कम रहने की संभावना है। वहीं भारत के ज्यादातर व्यापारिक संगठनों, उद्योग निकायों और यहां तक कि सरकार का भी मानना है कि मांग की तुलना में भारत में चीनी की आपूर्ति अधिक बनी रहेगी। अगले साल एथनॉल बनाने में चीनी के इस्तेमाल के बावजूद चीनी की कमी होने की संभावना नहीं है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हमारा मानना है कि 2023-24 सीजन में चीनी का उत्पादन 317 लाख टन बना रहेगा, जैसा कि हमने जून में अनुमान लगाया था। ओपनिंग स्टॉक करीब 55 लाख टन है। ऐसे में चीनी की आपूर्ति करीब 372 लाख टन होगी, जबकि खपत करीब 280 लाख टन होती है। ऐसे में अफरा-तफरी की कोई वजह नहीं बनती है।’ एथनॉल बनाने के लिए 45 लाख टन चीनी के इस्तेमाल के बाद इतने उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।

झुनझुनवाला ने कहा कि एसोसिएशन अक्टूबर में उत्पादन के अनुमान की एक बार फिर समीक्षा करेगा, तब महाराष्ट्र व कर्नाटक में मॉनसून की बारिश में देरी की फसलों पर पड़ने वाले असर का भी आकलन होगा।

सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार भी मान रही है कि एथनॉल के लिए चीनी के डायवर्जन के बाद 2023-24 सत्र में चीनी का शुद्ध उत्पादन करीब 300 लाख टन रह सकता है, जबकि खपत करीब 280 लाख टन रहेगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ सप्ताह पहले कहा था कि आगामी सीजन में मांग आपूर्ति की स्थिति को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।

कुछ सप्ताह पहले सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खड़ी फसल की स्थिति को देखते हुए शुरुआत में कुछ चिंता थी लेकिन आखिरी कुछ दिनों में बारिश होने के कारण स्थिति सुधरी है।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगले कुछ महीनों तक मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त चीनी मौजूद है।

अगर वैश्विक स्थिति देखें तो इंटरनैशनल शुगर ऑर्गेनाइजेशन (आईएसओ) ने अपने ताजा अनुमान में चीनी का वैश्विक उत्पादन 2023-24 के लिए बढ़ाकर 1,748.3 लाख टन कर दिया है, जो 2022-23 चीनी सत्र में हुए उत्पादन की तुलना में 1.2 प्रतिशत कम है।

चीनी की वैश्विक खपत 1,769.5 लाख टन रहने की संभावना

चीनी की वैश्विक खपत 1,769.5 लाख टन रहने की संभावना है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर चीनी की मांग आपूर्ति की तुलना में 21.2 लाख टन कम रह सकती है। चीनी की कमी के अनुमान के कारण इसके वैश्विक दाम में पिछले कुछ सप्ताह में तेजी आई है।

एग्रीमंडी के सह संस्थापक और सीईओ उप्पल शाह ने कहा, ‘आईएसओ ने 2023-24 के लिए चीनी की बैलेंस शीट जारी की है। आंकड़ों से पता चलता है कि चीनी के वैश्विक उत्पादन में 1.23 प्रतिशत की गिरावट आएगी। ऐसे में चीनी की कमी 21 लाख टन रह सकती है। कई चीजों पर ध्यान रखने की जरूरत है।

भारत में सितंबर और अक्टूबर के दौरान कैसी बारिश हुई और इसका नए सत्र में चीनी उत्पादन पर कितना असर पड़ सकता है। ब्राजील रिकॉर्ड फसल की बात कर रहा है लेकिन कच्चे तेल की कीमत ज्यादा होने के कारण एथनॉल में ज्यादा चीनी का इस्तेमाल हो सकता है। खासकर भारत के लिए अगले 2 महीने अहम हैं। चीनी के निर्यात में कटौती की खबरें हैं लेकिन अभी शुरुआती समय है। शेष सीजन के लिए अनुमान लगाने से लिए जनवरी 2024 बेहतर वक्त होगा।’

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