आर्थिक मंदी नहीं, महंगी होने के कारण गिरी कारों की बिक्रीः RC भार्गव

Edited By Supreet Kaur,Updated: 16 Sep, 2019 11:10 AM

car sales fell due to cost overruns not economic downturn

आटो सैक्टर में दोपहिया, चार पहिया से लेकर सवारी वाहनों तक की बिक्री में लगातार हो रही गिरावट को जहां आर्थिक मंदी से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव का मानना है कि कारों की बिक्री में आई कमी का कारण आर्थिक मंदी नहीं...

नई दिल्लीः आटो सैक्टर में दोपहिया, चार पहिया से लेकर सवारी वाहनों तक की बिक्री में लगातार हो रही गिरावट को जहां आर्थिक मंदी से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव का मानना है कि कारों की बिक्री में आई कमी का कारण आर्थिक मंदी नहीं बल्कि कारों का महंगा होना है। उन्होंने कहा कि आम आदमी के लिए एंट्री लैवल कारें खरीदना महंगा हो गया है। ऐसे समय में जब देश में वाहनों की बिक्री ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई है, भार्गव ने पैट्रोल और डीजल पर ऊंची टैक्स दर और राज्य सरकारों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।

भार्गव का कहना है कि राज्य सरकारों द्वारा रोड एंड रजिस्ट्रेशन चार्जेस बढ़ाए जाने की वजह से भी कार खरीदार खरीदारी से पीछे हट रहे हैं। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. में कटौती से भी कोई फर्क नहीं पडऩे वाला, जो अस्थायी होगा। जी.एस.टी. में कटौती को टाला भी जा सकता है। जी.एस.टी. कटौती को लेकर भार्गव के विचार आटो इंडस्ट्री बॉडी सियाम (एस.आई.ए.एम.) और अन्य कंपनियों के सी.ई.ओ. से मेल नहीं खाते हैं। इंडस्ट्री लगातार सुस्ती से निपटने को जी.एस.टी. कट की मांग कर रही है, लेकिन भार्गव का कहना है कि इससे कोई खास फर्क नहीं पडऩे वाला।

बता दें कि इंडियन ऑटोमोबाइल मार्कीट में दबदबा रखने वाली एंट्री लैवल कारों की बिक्री इस वित्त वर्ष के शुरुआती 5 महीनों में 28 फीसदी घटी है। इस सैगमैंट में आई गिरावट ओवरऑल मार्कीट में कुल गिरावट से ज्यादा है। गाड़ियों की कीमत डबल डिजिट्स में बढ़ने, ग्रामीण बाजार का सैंटीमैंट बिगड़ने और आर्थिक सुस्ती के कारण एंट्री कारों के संभावित खरीदार नई गाड़ी खरीदने से बच रहे हैं।

बैंक भी नहीं लेना चाहते रिस्क 
भार्गव ने ऑटो सैक्टर की मौजूदा सुस्ती के पीछे इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया है कि इसका स्ट्रक्चरल शिफ्ट से कोई लेना-देना है। उनका कहना है कि ओला-ऊबर जैसी एप बेस्ड सुविधाओं का बढ़ता इस्तेमाल, इसके पीछे वजह नहीं बल्कि अन्य फैक्टर स्लोडाऊन का कारण हैं। उन्होंने कहा-सख्त सेफ्टी व एमिशन के नियम, बीमा की ज्यादा लागत और करीब 9 राज्यों में अतिरिक्त रोड टैक्स जैसी वजहों से ऑटो सैक्टर में कंज्यूमर सैंटीमैंट्स बिगड़ा है। इन सभी फैक्टर्स की वजह से एंट्री लैवल कारों की कीमत करीब 55,000 रुपए तक बढ़ गई है। इस बढ़ी कीमत में 20,000 रुपए का इजाफा सिर्फ रोड टैक्स की वजह से हुआ है। बैंक भी गाडिय़ां फाइनांस करने को लेकर डरते हैं और रिस्क नहीं लेना चाहते, जो एक बड़ा मुद्दा है।

मारुति सुजूकी इंडिया ने 33.99 फीसदी घटाया उत्पादन
मारुति सुजूकी इंडिया ने अगस्त में अपने उत्पादन में 33.99 फीसदी की कटौती की है। इस प्रकार यह लगातार सातवां महीना है जब देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ने अपना उत्पादन घटाया है। कंपनी ने अगस्त महीने में 1,11,370 वाहन उत्पादित किए, जबकि पिछले साल की समान अवधि में कंपनी का उत्पादन 1,68,725 वाहन था। अगस्त 2019 में यात्री वाहनों का उत्पादन 1,10,214 वाहन रहा जो अगस्त 2018 में 1,66,161 वाहन था। इस प्रकार इसमें 33.67 फीसदी की गिरावट आई है।  ऑल्टो, न्यू वैगनआर, सेलेरियो, इग्निस, स्विफ्ट, बलैनो और डिजायर सहित मिनी और कॉम्पैक्ट सैगमैंट की कारों का उत्पादन पिछले साल अगस्त में 1,22,824 वाहन था जिसके मुकाबले इनका उत्पादन इस साल अगस्त में 80,909 वाहन रहा। यह 34.1 फीसदी की गिरावट को दर्शाता है। यूटीलिटी वाहन जैसे विटारा ब्रेजा, अर्टिगा और एस-क्रॉस का उत्पादन एक वर्ष पहले के 23,176 वाहनों के मुकाबले इस बार अगस्त में 34.85 फीसदी घटकर 15,099 वाहन रह गया। मध्यम आकार की सेडान सियाज का उत्पादन पिछले साल अगस्त में 6149 वाहन था जो पिछले महीने घटकर 2285 वाहन रह गया।

सब कहते हैं नियम अच्छे होने चाहिए..
भार्गव ने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा मानक विकसित देशों के लिए हैं, भारत जैसे देश के लिए इनका कोई प्रैक्टिकल लॉजिक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में कार खरीदने वाले यूरोप या जापान से नहीं हैं। यहां प्रति व्यक्ति आय 2200 डॉलर के आसपास है, चीन में 10,000 डॉलर के आसपास और यूरोप में करीब 40,000 डॉलर। ऐसे में यूरोप की आम जनता से यहां के लोगों की कैसी तुलना?’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘जब नियमों की बात आती है तो सब कहते हैं कि हमारे नियम सबसे अच्छे होने चाहिएं लेकिन आपको यहां के लोगों की आय को देखते हुए किसी प्रॉडक्ट की अफोर्डेबिलिटी भी देखनी चाहिए।’’
 

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