Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Dec, 2018 07:22 PM
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद सार्वजनिक तौर पर सामने आने के कुछ सप्ताह बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को जांच एजेंसियों को अपने पेशेवर रुख को कायम रखते हुए चुपचाप अपना काम करने के मूलभूत सिद्धांत अपनाने की...
नई दिल्लीः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद सार्वजनिक तौर पर सामने आने के कुछ सप्ताह बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को जांच एजेंसियों को अपने पेशेवर रुख को कायम रखते हुए चुपचाप अपना काम करने के मूलभूत सिद्धांत अपनाने की सलाह दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी जांच शुरू होने पर एजेंसियों को मीडिया के समक्ष अपनी बात रखने के आकर्षण से बचना चाहिए। राजस्व अभिसूचना निदेशालय (डीआरआई) को उच्चस्तर की अखंडता तथा पेशेवर मानकों को बनाये रखना चाहिए और उसे एक पूरी तरह से ‘दक्ष’ संगठन बनने के लिए काम करना चाहिए। डीआरआई सीमा शुल्क उल्लंघन और तस्करी से जुड़े मामलों में शीर्ष खुफिया और जांच एजेंसी है।
जेटली ने कहा कि यदि आप पुलिस सहित विभिन्न जांच एजेंसियों को देखें, तो डीआरआई को यह श्रेय जाता है कि वह काफी हद तक विवादों से मुक्त रहा है। डीआरआई के 61वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कुछ आधारभूत सिद्धान्त तय किए, जिन्हें प्रत्येक एजेंसी को अपनाना चाहिए ताकि उत्कृष्टता के उच्चस्तर को हासिल किया जा सके।
डीआरआई ने अपनी दक्षता के मुख्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है और वह ऐसे क्षेत्र में विशेषज्ञता का विकास कर रही है जिसमें उसे मुख्य रूप से देश को आर्थिक नुकसान और राष्ट्रीय सुरक्षा को चोट पहुंचाने पर अंकुश लगाना है। इन सिद्धान्तों में जांच एजेंसियों द्वारा बेहद ऊंचा पेशेवर रुख कायम रखना होगा और सिर्फ एक उद्देश्य रखना होगा कि अपराध को पकड़ने के लिए काम करना है।
उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच शुरू होने पर जांच एजेंसियों को मीडिया के पास भागने के आकर्षण से बचना चाहिए। उन्होंने पेशेवर तरीके से सिर्फ जांच प्रक्रिया और प्रमाणों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जेटली ने कहा कि किसी भी जांच एजेंसी की असली परीक्षा यह होती है कि जांच के बाद जुर्माना या सजा दिलाई जा सके। जांच एजेंसी के अधिकारी को बिना सामने आए चुपचाप अपनी जांच पूरी करनी चाहिए।