कोबरापोस्ट ने लगाया DHFL पर 31 हजार करोड़ रुपये के लोन फर्जीवाड़े का आरोप

Edited By Isha,Updated: 30 Jan, 2019 04:57 PM

cobrapost charged dlf for rs 31 thousand crore loan fraud case

न्यूज पोर्टल कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया है कि दीवान हाउजिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (DHFL) ने 31 हजार करोड़ के संदिग्ध लोन प्रमोटरों से जुड़ी इकाइयों को दिए और वही इसके आखिरी लाभार्थी हैं। हालांकि, कंपनी के चेयरमैन कपिल वाधवान ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार...

 

बिजनेस डेस्कः न्यूज पोर्टल कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया है कि दीवान हाउजिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (DHFL) ने 31 हजार करोड़ के संदिग्ध लोन प्रमोटरों से जुड़ी इकाइयों को दिए और वही इसके आखिरी लाभार्थी हैं। हालांकि, कंपनी के चेयरमैन कपिल वाधवान ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सारे लेनदेन कानूनन सही हैं। क्रिकेट टीम खरीदने के लिए हुआ पैसे का इस्तेमाल कोबरापोस्ट के आरोप के मुताबिक, डीएचएफएल के मालिक वाधवान परिवार ने लिस्टेड कंपनी से ‘पास थ्रू’ एंटिटीज के जरिए कर्ज लिया और विदेश में करीब 4,000 करोड़ की संपत्ति तैयार की।

न्यूज पोर्टल के संपादक अनिरुद्ध बहल ने आरोप लगाया कि इस पैसे का इस्तेमाल श्रीलंका में एक क्रिकेट टीम खरीदने के लिए भी किया गया। बहल ने कहा, ‘फंड की हेराफेरी के लिए जिन पास थ्रू कंपनियों का इस्तेमाल किया गया, हमने उनकी पहचान की है। ये कंपनियां कर्ज लौटाने की हालत में नहीं हैं। डिफॉल्ट करने से पहले हमने उनका पता लगाया है। ’IL&FS के डिफॉल्ट करने के बाद एनबीएफसी क्राइसिस शुरू हुआ था। उसके बाद से डीएचएफएल वित्तीय सेहत को लेकर विवादों से घिरी रही है। IL&FS के डिफॉल्ट के बाद कंपनी की फंडिंग कॉस्ट बढ़ गई थी और उसे बैंकों से भी कर्ज लेने में मुश्किल हो रही थी। उसने हजारों करोड़ के कर्ज बैंकों को बेचे हैं, ताकि वह लिक्विड बनी रहे। इन वजहों से दिसंबर क्वॉर्टर में कंपनी की लोन ग्रोथ में 90 पर्सेंट की गिरावट आई है।

डीएचएफएल ने किसी शेल कंपनी को कर्ज नहीं दिया वाधवान
बहल ने दावा किया कि डीएचएफएल के प्राइमरी स्टेकहोल्डर्स- कपिल वाधवान, अरुणा वाधवान और धीरज वाधवान से जुड़ी कंपनियों को सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन देकर यह ‘स्कैम’ किया गया। इस आरोप पर कपिल वाधवान ने कहा, ‘डीएचएफएल ने किसी शेल कंपनी को कर्ज नहीं दिया है। कंपनी ने वैध कर्ज दिए हैं और उस पर उसे ब्याज मिल रहा है। मुझे नहीं पता कि यह आरोप क्यों लगाया गया है।’ कोबरापोस्ट ने दावा किया कि सार्वजनिक रिकॉर्ड्स और सरकारी एजेंसियों की वेबसाइट से यह जानकारी जुटाई है।

बहल ने दावा किया कि जांच एजेंसियां जब डीएचएफएल का पैसा कहां गया, इसकी जांच करेंगी, तभी पता चलेगा कि ‘घोटाला’ कितना बड़ा है। पोर्टल ने दावा किया कि एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा ने डीएचएफएल को क्रमश: 11,000 करोड़ और 4,000 करोड़ के कर्ज दिए हैं। कंपनी ने कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों से करीब 90,000 करोड़ का लोन लिया है। वाधवान ने कहा, ‘कंपनी का एसेट कवर करीब दो गुना है। इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है।’

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