बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 449 परियोजनाओं की लागत 4.29 लाख करोड़ रुपए बढ़ी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Mar, 2021 01:53 PM

cost of 449 projects in infrastructure sector increased

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 449 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.29 लाख करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी...

बिजनेस डेस्कः बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 449 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.29 लाख करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। 

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547 परियोजनाओं में देरी 
मंत्रालय की फरवरी-2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,736 परियोजनाओं में से 449 की लागत बढ़ी है, जबकि 547 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 'इन 1,736 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 22,32,019.72 करोड़ रुपए थी, जिसके बढ़कर 26,61,205.74 करोड़ रुपए पर पहुंच जाने का अनुमान है।'' इससे पता चलता है कि इन 449 परियोजनाओं की लागत 4,29,186.02 करोड़ रुपए बढ़ी है।’’

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रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी-2021 तक इन परियोजनाओं पर 12,78,270.71 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 48.03 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 409 पर आ जाएगी। 

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930 परियोजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं
रिपोर्ट में 930 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि देरी से चल रही 547 परियोजनाओं में 109 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 132 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 187 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 119 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं। इन 547 परियोजनाओं की देरी का औसत 44.59 महीने है। 

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी तथा बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं।

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