राजस्व में कमी से चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से अधिक रह सकता है राजकोषीय घाटा

Edited By Isha,Updated: 27 Nov, 2018 01:51 PM

deficit revenue can exceed fiscal target in current fiscal

वित्तीय साख का निर्धारण करने वाली घरेलू फर्म इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार सरकार कुछ भी कहे पर चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सीमित रखने का बजट में तय लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि अप्रत्यक्ष कर और गैर-कर राजस्व...

नई दिल्ली: वित्तीय साख का निर्धारण करने वाली घरेलू फर्म इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार सरकार कुछ भी कहे पर चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सीमित रखने का बजट में तय लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि अप्रत्यक्ष कर और गैर-कर राजस्व की प्राप्ति अनुमान के अनुसार नहीं चल रही है। सरकार ने वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा (सरकार के कुल खर्च की तुलना में उसके राजस्व में कमी) सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। राजकोषीय घाटा अर्थव्यवस्था की वृहद स्थिति को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। फिच समूह की इस इकाई को लगता है कि राजकोषीय घाटा अप्रैल-मार्च 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 3.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

बजट में इसे 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है।  रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घाटा इस वित्त वर्ष में 6.67 लाख करोड़ रुपए के बराबर रहेगा। बजट में इसके 6.24 लाख करोड़ रुपए रहने का अुनमान लगाया गया है। एजैंसी का कहना है कि इस बार अप्रत्यक्ष कर राजस्व लक्ष्य से 22,400 करोड़ और गैर-कर राजस्व 16,200 करोड़ रुपए कम रहने का अनुमान है।  रिपोर्ट में कहा गया है कि इलैक्ट्रॉनिक पथ-बीजक (ई-वे बिल) के लागू होने से वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) का रिसाव रोकने में मदद मिली है। बजट में सकल अप्रत्यक्ष कर राजस्व में 22.2 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था पर यह वृद्धि केवल 4.3 प्रतिशत रही है। इसी तरह गैर-कर राजस्व भी लाभांश और विनिवेश आदि से प्राप्तियों में कमी के चलते कुल मिला कर बजट अनुमान से कम रहेगा। 

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