Edited By ,Updated: 29 Apr, 2017 04:24 PM
वित्त मंत्री अरुण जेटली के कृषि आय पर कर लगाने की संभावना से इनकार करने के कुछ ही दिन बाद देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने इस बहस में शामिल होते हुए कहा कि समृद्घ और गरीब किसान में फर्क हो सकता है।
नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली के कृषि आय पर कर लगाने की संभावना से इनकार करने के कुछ ही दिन बाद देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने इस बहस में शामिल होते हुए कहा कि समृद्घ और गरीब किसान में फर्क हो सकता है। नीति आयोग के दो सदस्यों के इस मुद्दे पर परस्पर विरोधाभासी बयान देने से यह मुद्दा विवादास्पद बन गया है।
सुब्रमण्यन ने सी.आई.आई. के एक कार्यक्रम में इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि जब आप किसानों की बात करते हैं तो लोगों को लगता है कि आप गरीब किसानों के पीछे पड़ रहे हैं। हम यह क्यों नहीं कह सकते कि समृद्घ लोगों पर कर लगना चाहिए, फिर चाहे उनकी आय का साधन कुछ भी हो। सुब्रमण्यन ने कहा कि अच्छी नीति के लिए हम कुछ भेद करने की जरूरत है। सवाल यह है कि हम यह अंतर क्यों नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी कानून राज्य सरकारों को कृषि आय पर कर लगाने से नहीं रोकता है लेकिन केंद्र सरकार के इस तरह का कर लगाने पर संवैधानिक पाबंदी है। इसका फैसला 29 राज्य सरकारों को करना है और अगर वे ऐसा करना चाहते हैं तो उनके पास इसका पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रुपये की उचित विनियम दर रखनी चाहिए। पिछले 2 साल के दौरान रुपए की मजबूत विनिमय दर के कारण निर्यात पर भारी असर पड़ा है। यह एकदम गलत धारणा है कि मजबूत विनिमय दर राष्ट्रीय और आर्थिक विकास का पर्याय है। उद्योग जगत को विनिमय दर के मुद्दों पर ज्यादा मुखर होने की जरूरत है।