कोरोना काल में कर्मचारियों ने पीएफ अकाउंट से खूब निकाला पैसा, जानें कितनी हुई निकासी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Jan, 2021 06:04 PM

employees withdraw money from pf account during corona period

दिसंबर 2020 तक नौ महीने में संगठित क्षेत्र के करीब 2 करोड़ कर्मचारियों ने अपने रिटारमेंट फंड से 73,000 करोड़ रुपए निकाले हैं। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से निकलने वाली यह रकम कोविड-19 संकट के असर को दर्शाती है।

नई दिल्लीः दिसंबर 2020 तक नौ महीने में संगठित क्षेत्र के करीब 2 करोड़ कर्मचारियों ने अपने रिटारमेंट फंड से 73,000 करोड़ रुपए निकाले हैं। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से निकलने वाली यह रकम कोविड-19 संकट के असर को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2019 के लिए EPFO के सालाना रिपोर्ट की तुलना में देखें तो पूरे साल के लिए 1.637 करोड़ क्लेम्स में 81,200 करोड़ रुपए का सेटलमेंट हुआ है। एक रिपोर्ट में कुछ आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहता है तो वित्त वर्ष 2020-21 में 2.65 करोड़ क्लेम्स के जरिए कुल 97,700 करोड़ रुपए का सेटलमेंट का पूरा किया जा सकता है।

अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच कुल अपने पीएफ अकाउंट (PF Account) से पैसे निकालने वाले कुल सब्सक्राइबर्स में से करीब 30 फीसदी ने कोविड-19 एडवांस के जरिए पैसा निकाला है। सरकार ने एक स्पेशल विंडो के तहत संगठित कर्मचारियों को छूट दी थी कि वे अपनी कुल बचत का 75 फीसदी या तीन महीने की सैलरी के बराबर की रकम निकाल सकते हैं। तीन महीने की सैलरी में उनका बेसिक, और महंगाई भत्ता शामिल था।

मिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि 50.68 लाख वर्कर्स ने सीधे ईपीएफओ से ही कोविड-19 एडवांस लिया। जबकि, 4,19,762 लोगों ने ईपीएफ एग्जेम्पटेड ट्रस्ट के जरिए अपना पैसा निकाला है। कुल मिलाकर देखें तो 31 दिसंबर तक करीब 61 लाख सब्सक्राइबर्स ने 18,290 करोड़ रुपए अपने प्रोविडेंट फंड से निकाला है।

किन वजहों से निकाले गए ये पैसे
ईपीएफओ द्वारा एक लेटर के जरिए सेंट्रल बोर्ड ट्रस्टीज (CBT) को दी गई जानकारी से पता चलता है कि इन सभी 2 करोड़ सेटलमेंट के कारण में प्रमुख तौर पर ‘फाइनल सेंटलमेंट’, ‘डेथ इंश्योरेंस’ और ‘एडवांस क्लेम्स’ रहे हैं। हालांकि, कोविड संबंधित विड्रॉल के अलावा ईपीएफओ द्रारा कोई दूसरे विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। बता दें कि जब कोई ईपीएफओ सब्सक्राइबर रिटायर होता है या वो कुछ महीनों के लिए बेरोजगार रहने के बाद अपना पूरा पैसे निकाल लेता है तो इसे फाइनल सेटलमेंट कहते हैं। अगस्त तक करीब 2.1 करोड़ सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। 2019-20 के दौरान भारत में कुल 8.6 करोड़ सैलरीड जाब्स थे। पिछले सितंबर में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट से पता चलता है कि अगस्त 2020 में यह संख्या घटकर 6.5 करोड़ पर आ गई। 

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