भारत समेत दुनिया भर में मुद्रा और शेयर पर पड़ सकता है असर

Edited By ,Updated: 22 Jun, 2016 12:25 PM

european union stock exchange

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने पर वहां के और यूरोप के पूंजी बाजारों में बड़ी उठापटक शुरू हो सकती है। वैश्विक स्तर पर मुद्रा और शेयरों पर असर पड़ सकता है।

मुंबईः ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने पर वहां के और यूरोप के पूंजी बाजारों में बड़ी उठापटक शुरू हो सकती है। वैश्विक स्तर पर मुद्रा और शेयरों पर असर पड़ सकता है। भारत भी इससे अछूता नहीं रह पाएगा। हालांकि संघ से बाहर निकलने के अभियान की पकड़ थोड़ी ढीली पडऩे से यूरोपीय शेयर बाजारों में तेजी दिखी और सोमवार को डॉलर के मुकाबले यूरो और पाऊंड में मजबूती आई। ब्रिटेन के बाहर होने की स्थिति में वैसे तो भारतीय बाजार और इसकी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन जानकारों का कहना है कि निवेशकों की धारणा कमजोर होने से घरेलू बाजार जरूर हिचकोले खा सकता है। 

 

डाल्टन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक यू आर भट्ट कहते हैं, 'ब्रिटेन के बाहर होने से समीकरण में नाटकीय बदलाव हो सकते हैं। फेडरल रिजर्व के निर्णयों के बाद यूरोपीय संघ में ब्रिटेन का बने रहना या इससे बाहर निकलना दूसरी सबसे बड़ी घटना होगा, जिस पर पूरे विश्व की नजर है। ब्रिटेन बाहर हुआ तोच यूरोप में उठापटक शुरू हो सकती है।' क्वांटआर्टमार्केट्स के प्रबंध निदेशक समीर लोढ़ा का मानना है कि ब्रिटेन में सर्वेक्षण होने तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। सर्वेक्षण संपन्न होने के बाद तत्काल प्रतिक्रिया भी देखने को मिलेगी। हालांकि लोढ़ा का मानना है कि रु पये पर असर सीमित रहेगा। 

 

ब्रिटेन के बाहर होने की स्थिति में यूरोपीय बाजारों में तेज गिरावट आ सकती है और निवेशक अधिक जोखिम वाले एशियाई बाजारों से रकम निकाल सकते हैं। लेकिन बाजारों पर असर अस्थायी होगा क्योंकि एशियाई अर्थव्यवस्था एक सीमा तक ही प्रभावित होगी। ब्लूमबर्ग ने कैपिटल इकनॉमिक्स के एक नोट के हवाले से कहा है कि ब्रिटेन के बाहर निकलने की स्थिति में एशियाई अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मात्र 0.2 प्रतिशत गिरावट आएगी। 

 

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ऐंड सोशल रिसर्च की राय में ब्रिटेन के बाहर निकलने से ब्रिटेन से होने वाला आयात अगले दो सालों में 25 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। ब्रिटेन भारत में सबसे बड़े निवेशकों में एक है। कई विश्लेषकों का विचार है कि ब्रिटेन के निकलने की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के बाद भारतीय बाजार स्थिर हो जाएगा और मध्यम से दीर्घ अवधि में कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन जिन कंपनियों का ब्रिटेन में बड़ा निवेश है उन पर दीर्घ अवधि में जरूर असर हो सकता है और उनके शेयरों की कीमतों पर भी प्रभाव दिखेगा। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अनुसार आईटी उद्योग का ब्रिटेन में खासा निवेश है इसलिए उन पर असर पडऩा लाजिमी है। उसके अनुसार इन्फोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक और विप्रो के शेयरों पर तत्काल असर दिख सकता है। टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, अपोलो टायर्स और वॉकहार्ट ने भी बड़े पैमाने पर ब्रिटेन में निवेश किया है इसलिए उनके शेयरों पर भी असर पड़ सकता है। ब्रिटेन में यूरोपीय संघ में बने रहने पर फैसला हुआ तो सब कुछ पहले की तरह ही चलेगा। क्षेत्र में आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी। वैश्विक बाजार भी राहत की सांस लेंगे और भारतीय बाजार भी निकट अवधि में लाभान्वित होंगे। 

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