औद्योगिक उत्पादन में मजबूती के लिए कोविड-19 टीकाकरण की प्रगति को महत्वपूर्ण मानते हैं विशेषज्ञ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2021 06:31 PM

experts consider the progress of covid 19 vaccination important

कोविड प्रभावित घरेलू अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में घटबढ़ जारी रहने के बीच बाजार विश्लेषकों कहा कहना है कि बाजार में मांग में सुधार और औद्योगिक गतिविधियों में मजबूती के लिए टीकाकरण की रफ्तार और संक्रमण पर नियंत्रण जरूरी है। सरकार...

नई दिल्लीः कोविड प्रभावित घरेलू अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में घटबढ़ जारी रहने के बीच बाजार विश्लेषकों कहा कहना है कि बाजार में मांग में सुधार और औद्योगिक गतिविधियों में मजबूती के लिए टीकाकरण की रफ्तार और संक्रमण पर नियंत्रण जरूरी है। सरकार द्वारा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के कल जारी आंशिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि कहने को सालाना आधार पर 134 प्रतिशत रहीं जो इसी वर्ष मार्च की तुलना में नरमी का संकेत देती है।

सरकार ने कहा है कि पिछले साल अप्रैल में देशव्यापी कठोर लॉकडाउन के मद्देनजर औद्योगिक उत्पादन जिस तरह प्रभावित हुआ था उसके देखते हुए उसके साथ इस साल अप्रैल के आंकड़ों की तुलना व्यावहारिक नहीं है। औद्योगिक उत्पादन की अप्रैल 2021 की वृद्धि दर के आंकड़े पर निवेश परामर्श कंपनी मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक एवं सीईओ नीश भट्ट ने कहा कि इस बार के आंकड़ों की तुलना पिछले साल अप्रैल से नहीं की जा सकती क्योंकि उस समय देश के अधिकांश भागों में कठोर लाकडाउन लागू था।

भट ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि मार्च की तुलना में 13 प्रतिशत कम रही। ‘कोविड की दूसरी लहर का उद्योग धंधे पर असर पड़ा है। यह अप्रैल के आंकड़ों में झलक भी रहा है।' उन्होंने कहा कि कोविड टीकाकरण एक अच्छे खासे स्तर पर पहुंच जाने, कोरोना वायरस संक्रमण के काबू में आने, सरकारों की ओर से जायज कारोबार को जारी रखने की अनुमति दिए जाने के बाद ही औद्यागिक कामकाज में मजबूती के साथ तेजी लौटेगी। रियल एस्टेट बाजार का अनुसंधान करने वाली फर्म नाइट फ्रैंक के निदेशक (अनुसंधान) विवेक राठी ने भी कहा, 'हमारा मानना है कि आगे के दिनों में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। इससे उभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और मांग में तेजी आएगी। इसी से उत्पादन क्षमताओं का उपयोग और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में सुधार हो सकेगा।' 

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि तुलना का आधार अनुकूल होने के कारण इस बार अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि में 134 प्रतिशत का जबर्दस्त उछाल दिख रहा है जबकि गतिविधियां कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि मार्च, 2021 की तुलना में अप्रैल का औद्योगिक उत्पादन 12 प्रतिशत बढ़ा। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में स्थानीय स्तर पर लाकडाउन का उत्पादन पर असर दिखा है। महाराष्ट्र का देश के विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन (विनिर्माण जीवीए) में 18 प्रतिशत का योगदान है। ' माधवी का अनुमान है कि 'यदि यह मान लें कि कोविड-19 अधिकतम प्रकोप इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक ही सीमित रहेगा और आबादी के बड़े हिस्से को पहली छमाही तक टीका लग चुका होगा तो मांग के उभरने से दूसरी छमाही में विनिर्माण और कुल मिलाकर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में सुधार दिखने लगेगा।' 

उनका कहना है कि कोविड-19 की पहली लहर के बाद आर्थिक हाल में सुधार का ग्राफ अंग्रेजी के ‘के' आकार यानी उतार चढ़ाव भरा रहा। श्रम बाजार पर इसका बुरा और विखंडनकारी प्रभाव दिखा। राजकोषीय प्रोत्साहन पर्याप्त से कम प्रभावकारी रहे। उनकी राय में आगे भी आर्थिक गतिविधियों में सुधार में पूंजी और लाभ की भूमिका ही ज्यादा होगी और उसमें श्रम बाजार और मजदूरी की दशा में सुधार शायद ही दिखे।' सरकार ने अप्रैल माह के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के पूर्ण आंकड़े जारी नहीं करने का फैसला किया है। 

कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते पिछले साल भी सरकार ने अप्रैल महीने के आईआईपी आंकड़े जारी नहीं किये थे। पिछले साल जून में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने कारखाना उत्पादन पर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक उत्पादन पर पड़े प्रभाव के कारण आईआईपी आंकड़ों को रोक लिया गया था। इस साल भी अप्रैल के पूर्ण आंकड़े जारी नहीं किये जा रहे हैं। इस साल अप्रैल में आईआईपी 126.6 अंक रहा जो कि 2019 अप्रैल के करीब-करीब बराबर ही है। हालांकि, पिछले साल अप्रैल के मुकाबले यह 134 प्रतिशत की बढ़त दर्शाता है, क्योंकि पिछले साल अप्रैल में औद्योगिक गतिविधियां काफी कुछ बंद थी। एनएसओ ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 के कारण मार्च, 2020 के अंत में लगे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण अप्रैल 2020 में ज्यादातर प्रतिष्ठानों में कोई कामकाज नहीं हो सका था। इसके कारण औद्योगिक उत्पादन भी न के बराबर रहा। जिससे आईआईपी के पूर्ण आंकड़े प्रभावित हुए हैं। इसलिए अप्रैल, 2021 के आंकड़ों की अप्रैल 2020 के साथ तुलना नहीं की जा सकती है।''  

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