Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jan, 2019 04:53 PM
लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले अंतरिम बजट में सरकार किसानों और मध्यम वर्ग को लुभाने के लिए उन पर तोहफों की बारिश कर सकती है। मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले अंतरिम बजट में सरकार किसानों और मध्यम वर्ग को लुभाने के लिए उन पर तोहफों की बारिश कर सकती है। मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह पहला मौका होगा जब केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली बजट पेश नहीं करेंगे। वह बीमारी के कारण अमेरिका में इलाज करा रहे हैं और उनकी जगह वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे पीयूष गोयल 01 फरवरी को बजट पेश करेंगे। इस बजट में सरकार किसानों और मध्यम वर्ग पर अपना फोकस रखेगी।
किसान देश की आबादी में 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं और उसके बाद मध्यम वर्ग सबसे बड़ा वर्ग है। इसलिए, माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इन दोनों वर्गों को लुभाने में सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। जेटली ने पहले ही कहा दिया है कि इस बार का अंतरिम बजट ‘‘लेखानुदान मांगों से कुछ अधिक’’ होगा। उनके इस बयान से यह कयास लगाया जा रहा है कि सरकार जून-जुलाई तक के लिए लेखानुदान मांगें पेश करने के साथ ही कुछ घोषणाएं भी कर सकती है।
पिछले चार साल में सरकार ने किसानों की कर्ज माफी जैसे किसी पैकेज की बजाय अब तक उनकी आमदनी बढऩे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ढांचगत सुधारों के उपायों पर फोकस किया है। उसने विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी के रूप में पिछले एक साल में किसानों को जरूर कुछ राहत दी है लेकिन देश के गांवों और किसानों की स्थिति देखते हुए इसका अब तक कोई बहुत फायदा नजर नहीं आ रहा है।