सहकारिता क्षेत्र के विस्तार के लिए जेम पोर्टल बहुत उपयोगी : शाह

Edited By Pardeep,Updated: 09 Aug, 2022 10:08 PM

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि देश में सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इसके विस्तार के लिए गवर्नमेंट ई माकेर्टप्लेस (जीईएम)पोर्टल बहुत उपयोगी

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि देश में सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इसके विस्तार के लिए गवर्नमेंट ई माकेर्टप्लेस (जीईएम)पोर्टल बहुत उपयोगी प्लेटफार्म सिद्ध होगा। 

शाह ने यहां सहकारिता मंत्रालय,भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) और जी ई एम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जी ई एम पोटर्ल पर सहकारिताओं की ‘ऑनबोर्डिंग' को ई-लॉन्च करने के मौके पर यह बात कही। इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय सहकारिता एवं उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास राज्य मंत्री बी एल वर्मा और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

शाह ने कहा , ‘‘ आज का दिन भारत के इतिहास का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है। 1942 में 9 अगस्त को ही गांधी जी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरु किया था और आज़ादी के अमृत महोत्सव में 9 अगस्त के दिन ही आज एक और महत्वपूर्ण काम हो रहा है जिसमें देशभर की सभी सहकारी समितियों के लिए जीईएम यानी जेम के दरवाजे खुल गए हैं। उन्होने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र के विस्तार के लिए यह पोटर्ल एक बहुत उपयोगी प्लेटफार्म सिद्ध होगा।'' 

सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार की अधिकतर इकाइयां जेम के माध्यम से ही ख़रीदारी करती हैं इसलिए सहकारी समितियों को अपना बाज़ार बढ़ाने के लिए जेम पर आपूर्ति के लिए पंजीकरण की भी तैयारी शुरु करनी चाहिए। उन्होने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ से भी सहकारी समितियों की माकेर्टिंग बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि इसके लिए जेम से अच्छा और कोई रास्ता नहीं हो सकता। 

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से इस क्षेत्र को नजरंदाज किया गया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ऐतिहासिक सुधारों व आधुनिकीकरण के साथ इसके विस्तार को गति दे रहे हैं। सहकारिता मंत्रालय ने विस्तार के लिए ढेर सारे उपाय किए हैं और पिछले एक साल में मंत्रालय 25 से 30 नयी पहलों पर लगातार समांतर रूप से काम कर रहा है। उन्होने कहा कि ‘पैक्स से लेकर अपैक्स' तक एक समग्र द्दष्टिकोण के साथ सहकारिता नीति भी बनाई जा रही है। 

उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार को सहकारिता का विस्तार करना है लेकिन इसका कोई डेटाबेस ही नहीं है, इसलिए मंत्रालय सभी प्रकार की सहकारी समितियों का एक राष्ट्रस्तर का डेटाबेस भी बना रहा है। यूनिवर्सिटी की स्थापना का काम भी आगे बढ़ा है, इससे नए प्रोफेशनल तैयार होंगे। इस यूनिवर्सिटी में सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और नए कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध होगी। 

एक एक्सपोर्ट हाउस भी रजिस्टर किया जा रहा है जो दिसंबर तक हो पूरा जाएगा। यह देशभर के कोऑपरेटिव को एक्सपोर्ट करने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्ट में भी आमूलचूल परिवर्तन किए जा रहे हैं और सरकार ने सारे पैक्स को कंप्यूटराइज करने का निर्णय भी लिया है।''

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