Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 May, 2018 06:34 PM
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित दुनिया के प्रमुख बाजारों में मांग घटने से देश से रत्न एवं आभूषणों का निर्यात अप्रैल माह में 22 प्रतिशत घटकर 2.6 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी)
नई दिल्लीः संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित दुनिया के प्रमुख बाजारों में मांग घटने से देश से रत्न एवं आभूषणों का निर्यात अप्रैल माह में 22 प्रतिशत घटकर 2.6 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के मुताबिक एक साल पहले अप्रैल में देश से 3.31 अरब डॉलर के रत्न एवं आभूषणों का निर्यात हुआ था।
भारत से रत्न एवं आभूषणों का निर्यात प्रमुख तौर पर अमेरिका, हांग-कांग और यूएई के बाजारों में होता है। देश के कुल आभूषण निर्यात में 80 प्रतिशत निर्यात इन तीन देशों को ही होता है। जीजेईपीसी के उपाध्यक्ष कोलिन शाह ने कहा कि अमेरिका रत्न एवं आभूषण का दुनिया में सबसे बड़ा बाजार है। इसमें हाल में मांग में सुधार का रुख बना है।
रत्न एवं आभूषण कारोबार का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में 7 प्रतिशत योगदान है जबकि देश के कुल वस्तु निर्यात में इस क्षेत्र का 15 प्रतिशत तक योगदान है। उद्योग सूत्रों के अनुसार अप्रैल में रत्न एवं आभूषण निर्यात में आई गिरावट की खास वजह चांदी आभूषण, सोने के पदक एवं सिक्कों के निर्यात में आई गिरावट रही है। इसके साथ ही निर्यात की गई कई खेपों को लौटाया जाना भी इसकी मुख्य वजह रही है। उद्योग जगत ने भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) योजना के तहत निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन बढ़ाकर समर्थन देने को कहा है।
उद्योग के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल माह में चांदी के आभूषण का निर्यात कारोबार एक साल पहले इसी माह के मुकाबले 95.5 प्रतिशत घटकर 3.42 करोड़ डॉलर का रह गया। इसी प्रकार सोने के सिक्कों, पदकों का निर्यात अप्रैल में 87.6 प्रतिशत घट गया जबकि सोने से तैयार आभूषणों का कुल निर्यात 49 प्रतिशत बढ़कर 91.30 करोड़ डॉलर हो गया। काटे और तराशे गए हीरों का निर्यात भी अप्रैल में 14 प्रतिशत बढ़ा है। अप्रैल 2018 में 54.53 करोड़ डॉलर की निर्यात खेप लौटी है जबकि एक साल पहले इसी माह में रत्न एवं आभूषणों की 53.30 करोड़ डॉलर की खेप लौटाई गई थी। इसके विपरीत अप्रैल माह में रत्न एवं आभूषणों का आयात 24 प्रतिशत घटकर 2.35 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान कच्चे हीरों का आयात 13 प्रतिशत कम हुआ।