10 साल में तिगुनी हुई चांदी की खपत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Jun, 2018 01:50 PM

gold consumption of tripled in 10 years

पिछले एक दशक के दौरान भारत में चांदी की खपत बढ़कर 3 गुना हो गई है। हाल ही में चांदी पर सिल्वर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। वर्ल्ड सिल्वर सर्वे 2018 के अनुसार, भारत में 2008 के दौरान आभूषण विनिर्माण के लिए

बिजनेस डेस्कः पिछले एक दशक के दौरान भारत में चांदी की खपत बढ़कर 3 गुना हो गई है। हाल ही में चांदी पर सिल्वर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। वर्ल्ड सिल्वर सर्वे 2018 के अनुसार, भारत में 2008 के दौरान आभूषण विनिर्माण के लिए 601 टन चांदी का इस्तेमाल किया गया था, जबकि 2017 में आभूषण विनिर्माण में 2,058 टन चांदी का प्रयोग किया गया। इसी प्रकार, एक दशक के दौरान चांदी के बर्तनों में इसका प्रयोग 481 टन से बढ़कर 1,212 टन हो गया।

परिणामस्वरूप, विश्व बाजार में आभूषणों और बर्तनों में चांदी की भारतीय मांग की हिस्सेदारी भी 2017 में बढ़कर 39.2 प्रतिशत हो गई, जबकि 2008 में यह वृद्धि दर 14.7 प्रतिशत थी। इस दशक के दौरान भारत ने करीब 45,000 टन चांदी का आयात किया। दूसरी ओर, आभूषणों और निवेश के लिए सोने की मांग का रुझान बिल्कुल अलग है। भारत में इन दोनों ही श्रेणियों की मांग में गिरावट आई है।

मांग में अधिकांश वृद्धि पिछले 5 सालों के दौरान हुई है। आयात के आंकड़ों के अनुसार, 2008 से 2012 तक चांदी का औसत वार्षिक आयात 3,080 था, जबकि 2013 से 2017 तक वार्षिक आयात 5,800 टन से ज्यादा था। इस अवधि के दौरान उद्योग में चांदी के इस्तेमाल में खासा इजाफा हुआ। रिफाइनरी, आभूषण और व्यापार के एक बड़े भागीदार- आम्रपाली ग्रुप के निदेशक चिराग ठक्कर का कहना है कि चांदी के पुराने गहनों के रिफाइनर होने के कारण पिछले पांच सालों में उन्होंने रिफाइनिंग के उद्देश्य से (आभूषण और चांदी के बर्तन बनाने के लिए) प्राप्त होने वाले पुराने गहनों की शुद्धता है। उनमें पहले 85 प्रतिशत चांदी हुआ करती थी, जो अब कम होकर 50-55 प्रतिशत रह गई है। विशुद्ध चांदी में अन्य धातुओं की बढ़ती मिलावट के कारण ऐसा हो सकता है। इस प्रकार, यह अंतर पूरा करने के लिए नई चांदी की अतिरिक्त मांग ने चांदी की खपत भी बढ़ा दी है।

फोरसाइट बुलियन इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विराज डिडवानिया ने कहा कि जब किसानों के पास नकदी होती है, तो खरीदारी के लिए चांदी उनकी पसंदीदा परिसंपत्ति रहती है और जरूर पड़ने पर इसे बेच दिया जाता है। जहां तक आभूषण की बात है, तो चांदी की ग्रामीण मांग का एक बड़ा हिस्सा पायल बनवाने के लिए होता है, जबकि चांदी के बर्तनों में पूजा के सामान और मूर्तियों की बड़ी हिस्सेदारी होती है। सोना एक बार खरीदे जाने के बाद आमतौर पर बेचा नहीं जाता है लेकिन जब किसानों के पास नकदी होती है, तो वे चांदी खरीदते हैं और अगले सीजन में बीजों तथा उर्वरकों की खरीदारी के लिए उसे बेचते हुए भी देखे जाते हैं।

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