Edited By Supreet Kaur,Updated: 27 Jul, 2019 04:53 PM
किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार एक नई योजना लेकर आई है जिसके तहत किसान स्टिल्ट तरीके से खेत के ऊपर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक का सोलर प्लांट लगा सकते हैं। यह प्लांट बिजली वितरण कंपनी से जुड़ा होगा और इस प्लांट में उत्पादित बिजली...
बिजनेस डेस्कः किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार एक नई योजना लेकर आई है जिसके तहत किसान स्टिल्ट तरीके से खेत के ऊपर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक का सोलर प्लांट लगा सकते हैं। यह प्लांट बिजली वितरण कंपनी से जुड़ा होगा और इस प्लांट में उत्पादित बिजली डिस्कॉम के पास चली जाएगी। इसलिए किसानों का सोलर पावर प्लांट बिजली कंपनी के सब स्टेशन से 5 किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए ताकि ट्रांसमिशन की ऊंची लागत से बचा जा सके।
25 साल के लिए होगा एग्रीमेंट
डिस्कॉम को हर हाल में किसान के सोलर पावर प्लांट से उत्पादित बिजली को खरीदना होगा। बिजली खरीदारी के लिए किसान और डिस्कॉम के बीच 25 साल के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट किया जाएगा। किसानों की बिजली खरीदने वाली डिस्कॉम को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) सब्सिडी के तौर पर 40 पैसे प्रति यूनिट का भुगतान करेगा। कई किसान या किसानों की सोसायटी, पंचायत, कार्पोरेटिव कोई भी इस सोलर पावर प्लांट को लगा सकता है। किसान को यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे खेती प्रभावित नहीं होगी। उन्हें भी सरकार की तरफ से पूरी मदद मिलेगी।
लीज पर दी जा सकती है जमीन
जो किसान अकेले या समूह में इस काम को करने में सक्षम नहीं है, वे सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए डेवलपर्स की मदद ले सकते हैं। किसान चाहे तो अपनी जमीन को लीज रेंट पर भी डेवलपर्स को दे सकता है। बदले में किसानों को फिक्स इनकम होती रहेगी। सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए लेटर ऑफ एश्योरेंस जारी करने के नौ माह के भीतर प्लांट को स्थापित करना होगा। बिजली खरीद करने वाली डिस्कॉम को एमएनआरई की तरफ से पांच साल के लिए 40 पैसे प्रति यूनिट दिए जाएंगे।