Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Apr, 2022 10:41 AM
सरकार रूस-यूक्रेन संघर्ष, चीन की तरफ से भारी खरीद और अन्य वैश्विक कारकों से अंतरराष्ट्रीय उर्वरक कीमतों में वृद्धि होने के बावजूद किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरकों की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके कारण चालू वित्त वर्ष में वार्षिक उर्वरक
बिजनेस डेस्कः सरकार रूस-यूक्रेन संघर्ष, चीन की तरफ से भारी खरीद और अन्य वैश्विक कारकों से अंतरराष्ट्रीय उर्वरक कीमतों में वृद्धि होने के बावजूद किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरकों की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके कारण चालू वित्त वर्ष में वार्षिक उर्वरक सब्सिडी बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। कुछ हलकों में जताई जा रही चिंताओं और संसद में विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार के लिए किसानों के हित सर्वोपरि हैं और यह पहले से ही विभिन्न फसल पोषक तत्वों (उर्वरकों) पर दी जा रही भारी सब्सिडी से स्पष्ट है और अगर सब्सिडी बढ़ती भी है तो सरकार इसे देने से नहीं हिचकिचाएगी।
सूत्रों ने कहा, ‘‘मई से शुरू होने वाले खरीफ बुआई सत्र के लिए सरकार ने 30 लाख टन डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और 70 लाख टन यूरिया सहित उर्वरक की पहले से ही पर्याप्त अग्रिम व्यवस्था कर ली है। हम खरीफ सत्र की जरुरतों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और जरुरत के अनुसार आगे और खरीद करेंगे।'' सरकारी अधिकारियों ने बताया कि घरेलू बाजार में यूरिया की कीमत आज 266 रुपए प्रति 50 किलो बोरी बनी हुई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढ़कर 4,000 रुपए प्रति बोरी हो गई है। इस तरह हरेक बोरी पर सरकार को करीब 3,700 रुपए की सब्सिडी देनी पड़ रही है। वहीं घरेलू बाजार में डीएपी की कीमत 1,350 रुपए प्रति बोरी है, जबकि इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़कर 4,200 रुपए प्रति बोरी हो गई है।
हालांकि एनपीके (जटिल उर्वरक) की कीमत लगभग एक साल से 1,470 रुपए प्रति बोरी पर ही बनी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक, एनपीके की कीमत तब से नहीं बदली है जब एक साल पहले इसकी कीमत लगभग 1,300 रुपए से बढ़ाकर 1,470 रुपए प्रति बोरी कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में उर्वरक कीमतें पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में बहुत कम हैं। अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देशों की तुलना में भी कीमतें कम हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘‘उर्वरक की कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी को लेकर जो चिंता जताई जा रही है, वह बेवजह है।''
सूत्रों ने कहा, ‘‘हमने रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान पर प्रतिबंधों जैसे वैश्विक कारकों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े घटनाक्रमों के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के बावजूद उर्वरक की कीमतों में वृद्धि नहीं की है। हम अपने किसानों के हित में घरेलू कीमतों को अपरिवर्तित रखने की कोशिश कर रहे हैं।'' सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, चीन अपनी घरेलू क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर खरीद कर रहा है, हालांकि वह पहले निर्यात करता था। आम तौर पर उर्वरक सब्सिडी एक वर्ष में लगभग 80,000-85,000 करोड़ रुपए रहती है लेकिन हाल के दिनों में यह काफी अधिक अधिक बढ़ गई है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि यूरिया की कीमत पिछले सात वर्षों में नहीं बढ़ाई गई है ताकि किसानों को कोई कठिनाई न हो।