Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Jul, 2018 05:16 PM
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज विश्वास व्यक्त किया कि चालू वित्त वर्ष में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 13 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा और राजस्व प्राप्ति बढऩे के साथ ही कर दरों को ज्यादा तर्कसंगत बनाने की गुंजाइश बढ़ेगी।
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज विश्वास व्यक्त किया कि चालू वित्त वर्ष में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 13 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा और राजस्व प्राप्ति बढऩे के साथ ही कर दरों को ज्यादा तर्कसंगत बनाने की गुंजाइश बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कर दायरे में अधिक लोगों के जुडऩे और ई-वे बिल के सफल क्रियान्वयन से कर की दरों को तार्किक बनाने का अवसर मिलेगा।
देश में एक जुलाई 2017 से शुरू की गई जीएसटी व्यवस्था के तहत 4 मुख्य दरें रखीं गईं हैं। इसमें 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से विभिन्न वस्तुओं पर कर लगाया जाता है। सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर के ऊपर विलासिता के सामान और सिगरेट, तंबाकू जैसी अहितकर वस्तुओं पर उपकर भी लगाया जाता है।
गोयल ने जीएसटी- दिवस समारोह में कहा, ‘‘मेरा विश्वास है कि मासिक जीएसटी संग्रह 1.10 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा और मुझे लगता है कि इस वित्त वर्ष (2018- 19) में जीएसटी से 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा।’’ जीएसटी व्यवस्था लागू होने के पहले साल 2017-18 में सरकार को कुल 7.41 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति हुई। इस लिहाज से जुलाई से लेकर मार्च तक के 9 माह में औसत जीएसटी प्राप्ति 89,885 करोड़ रुपए रही। इस वित्त वर्ष में अप्रैल में जीएसटी संग्रह 1.03 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, इसके बाद मई में यह 94,106 करोड रुपए और जून में 95,610 करोड़ रुपए रहा।
गोयल ने कहा कि अप्रैल से जून तक के 3 महीनों में कर संग्रह ऐतिहासिक रूप से कम रहता आया है। पहले की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में इन 3 महीनों के दौरान कुल कर संग्रह का 7.1 प्रतिशत ही कर संग्रह हुआ करता था। अत: मई-जून में 94-95 हजार करोड़ रुपए का कर संग्रह सुनने में अच्छा लग रहा है। गोयल ने कहा, ‘‘ईमानदार एवं पारदर्शी कर व्यवस्था में अधिक लोगों के जुड़ते जाने और ई-वे बिल प्रणाली की सफलता से हम कर की दरों को तार्किक बनाने की बेहतर स्थिति में होंगे। देश के सामाजिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए कर की विभिन्न दरें रखीं गई। क्या यह उचित होगा कि लग्जरी कारों और गरीब लोगों के आम इस्तेमाल की चीजों पर बराबर कर लगे?’’