Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 May, 2018 11:17 AM
माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के क्रियान्वयन और संपत्ति कीमतों में गिरावट की वजह से संपत्ति के एवज में कर्ज (एलएपी) तथा वाणिज्यिक वाहन खंड के कर्ज में गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ी हैं। इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
मुंबईः माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के क्रियान्वयन और संपत्ति कीमतों में गिरावट की वजह से संपत्ति के एवज में कर्ज (एलएपी) तथा वाणिज्यिक वाहन खंड के कर्ज में गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ी हैं। इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में भारांकित औसत 30 दिन पीछे का बकाया (डीपीडी) सालाना आधार पर 160 आधार अंक बढ़कर 4.07 प्रतिशत पर पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के समय में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को रेहन पर दिया गया कर्ज एनपीए बन रहा है। इसकी मुख्य वजह जीएसटी को लागू किया जाना और संपत्ति कीमतों में गिरावट है।
रेटिंग एजेंसी द्वारा शामिल किया गया 30 प्रतिशत एलएपी पोर्टफोलियो एनसीआर केंद्रित है। इस क्षेत्र में बिना बिके फ्लैटों का आंकड़ा काफी ऊंचा है, साथ ही दिए गए ऋण पर संपत्ति का मूल्य निचले स्तर पर है। ऐसे में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) पर वसूली काफी कम रहने की संभावना है। इसी तरह वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) के मामले में भारांकित औसत 30 दिन पीछे का बकाया फरवरी, 2018 में बढ़कर 7.89 प्रतिशत हो गया, जो फरवरी , 2017 में 6.87 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी प्रमुख वजह नोटबंदी, जीएसटी का क्रियान्वयन, वाहनों के लिए भारत चरण 4 मानकों पर स्थानांतरण तथा वाहनों में माल ढुलाई के संबंध में कड़े नियम हैं। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि ईंधन के बढ़ते दामों की वजह तथा ढुलाई दरों में बढ़ोतरी न होने से कर्ज लेने वाले वाणिज्यिक वाहन आपरेटरों का परिचालन मार्जिन 7 से 10 प्रतिशत और प्रभावित होगा, जिससे उनकी स्थिति और खराब होगी।