Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Sep, 2025 04:01 PM

22 सितंबर 2025 से स्वास्थ्य और जीवन बीमा (Health & Life Insurance) प्रीमियम पर जीएसटी दर को पूरी तरह शून्य कर दिया गया है। यह फैसला 56वें जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया गया। अब बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी नहीं लगेगा।
नई दिल्लीः 22 सितंबर 2025 से स्वास्थ्य और जीवन बीमा (Health & Life Insurance) प्रीमियम पर जीएसटी दर को पूरी तरह शून्य कर दिया गया है। यह फैसला 56वें जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया गया। अब बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी नहीं लगेगा।
पहले क्या होता था?
अभी तक अगर कोई पॉलिसीधारक ₹100 का प्रीमियम भरता था, तो उसे ₹118 (₹100 + ₹18 GST) देना पड़ता था। इस कदम का उद्देश्य बीमा को सभी के लिए अधिक सस्ता और किफायती बनाना है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्यों अहम है?
बीमा कंपनियां पॉलिसी बेचते समय 18% जीएसटी वसूलती थीं। साथ ही, एजेंट कमीशन, मार्केटिंग और ऑफिस रेंट जैसे खर्चों पर भी जीएसटी अदा करती थीं। जीएसटी नियमों के तहत वे इस टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में ग्राहकों से वसूले गए जीएसटी से घटा सकती थीं।
उदाहरण के तौर पर, यदि हर ₹100 प्रीमियम पर कंपनी ₹70 का खर्च करती थी, तो उस पर 18% यानी ₹12.6 जीएसटी देना पड़ता था। इसे ग्राहकों से वसूले गए ₹18 जीएसटी से एडजस्ट करने के बाद कंपनी को केवल ₹5.4 ही सरकार को देना होता था।
अब क्या बदलेगा?
जीएसटी हटने के बाद कंपनियों के पास ITC का लाभ भी नहीं रहेगा यानी उन्हें अपने परिचालन खर्चों पर चुकाया गया टैक्स खुद वहन करना होगा। इस अतिरिक्त खर्च का बोझ आंशिक रूप से ग्राहकों पर भी डाला जा सकता है।
पूर्व एलआईसी कार्यकारी निदेशक अश्विन गाई का कहना है कि यह अतिरिक्त लोडिंग करीब 3.31% तक हो सकती है। यानी अगर प्रीमियम ₹1,000 है, तो ग्राहक को ₹1,033.33 तक भुगतान करना पड़ सकता है।