Lakshmi Vilas Bank Crisis: कैसे डूबने की कगार पर पहुंचा 94 साल पुराना बैंक, जानिए पूरी कहानी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Nov, 2020 01:11 PM

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केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के प्राइवेट सेक्‍टर के लक्ष्‍मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। सरकार ने बैंक के बोर्ड को सुपरसीड कर दिया गया है और निकासी की सीमा तय कर दी है। ग्राहक अब 16 दिसंबर तक बैं

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के प्राइवेट सेक्‍टर के लक्ष्‍मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। सरकार ने बैंक के बोर्ड को सुपरसीड कर दिया गया है और निकासी की सीमा तय कर दी है। ग्राहक अब 16 दिसंबर तक बैंक से अधिकतम 25 हजार रुपए की ही निकासी कर सकेंगे। सरकार ने रिजर्व बैंक की सलाह पर यह कदम उठाया है।

94 साल पुराना बैंक
एलवीएस बैंक का गठन 1926 में हुआ था। देशभर में बैंक की 16 राज्यों में 566 शाखाएं और 918 एटीएम चल रहे हैं। बैंक ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया था कि मौजूदा संकट का उनकी जमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैंक ने कहा था कि 262 फीसदी के तरलता सुरक्षा अनुपात (एलसीआर) के साथ जमाकर्ता, बॉन्डधारक, खाताधारक और लेनदारों की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित है।

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कुछ महीने पहले बैंक के शेयरधारकों की Annual General Meeting में वोट के आधार पर बैंक के एमडी सीईओ समेत 7 निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था और इसके लिए अच्छे निवेशकों की तलाश की जा रही थी। आकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपए थी।

इंडियाबुल्स के साथ विलय की कोशिश
बैंक ने पहले इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की भी कोशिश की थी, जिसे आरबीआई की अनुमति नहीं मिली थी। बैंक की एनबीएफसी (NBFC) के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई, लेकिन बात नहीं बन सकी। बैंक पिछली 10 तिमाहियों से घाटे में चल रहा है और आरबीआई ने पिछले साल सितंबर 2019 में Prompt Corrective Action की शुरुआत की थी, जो बैंक को अतिरिक्त पूंजी देने, कॉर्पोरेट्स को उधार देने, एनपीए (NPA) कम करने और प्रोविजन कवरेज में 70 फीसदी के अनुपात तक सुधार करने का काम करती है। कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर, 2019 में बैंक को पीसीए ढांचे में डाल दिया था।

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लोन बुक में अंतर
आपको बता दें Clix Capital को दिए गए लोन में क्लिक्स कैपिटल ने अपनी लोन बुक का मूल्य 4200 करोड़ रुपए रखा था, जबकि LVB ने इसे 1,200 रुपए से 1,300 करोड़ रुपए का लिख दिया, जिससे 2,500 रुपए 3,000 करोड़ रुपए से अधिक की मिसमैचिंग देखने को मिली, जिसके बाद बैंक में आरबीआई द्वारा नियुक्त निदेशक शक्ति सिन्हा ने कहा कि हम इतने ज्यादा गैप को पूरा नहीं कर सकते थे।

कब से शुरू हुआ संकट
एलवीबी की मौजूदा परेशानी तब शुरू हुई जब इसने रैनबैक्सी और फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर्स मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह के के लगभग 720 करोड़ रुपए के फिक्सड डिपॉजिट पर ध्यान दिया। साल 2016-17 के शुरुआत में रेलिगेयर फिनवेस्ट के द्वारा बैंक को 794 करोड़ रुपए के फिक्सड डिपॉजिट के लिए बढ़ावा दिया गया था। रेलिगेयर ने बाद में लोन वसूलने के लिए एफडी का पैसा वसूलने के बाद एलवीबी की दिल्ली शाखा पर मुकदमा दायर कर दिया था और यह मामला अदालत में है।

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केयर रेटिंग्‍स ने अक्‍टूबर में घटाई थी बैंक की क्रेडिट रेटिंग
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्‍स ने पिछले महीने 93 साल पुराने इस प्राइवेट बैंक की रेटिंग घटा (Downgraded) दी थी। लक्ष्‍मी विलास बैंक ने रेग्‍युलेटरी फाइलिंग में बताया था कि केयर ने उसके 50.50 करोड़ रुपए के अनसिक्‍योर्ड रिडीमेबल नॉन-कंवर्टिबल सब-ऑर्डिनेटेड लोअर टीयर-2 बॉन्‍ड्स (Tier-2 Bonds) की रेटिंग घटाकर बीबी माइनस (BB-) कर दी है। अब केंद्र सरकार की ओर से बैंक को मोरेटोरियम में डालने के साथ ही कई तरह की पाबंदियां लागू हो गई हैं।  

RBI ने अपने हाथ में लिया जिम्मा
आरबीआई ने हाल में इस बैंक का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया था। बैंक के संचालन के लिए RBI ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इससे पहले यस बैंक में नकदी संकट बढ़ने पर भी आरबीआई के निर्देश पर एसबीआई के पूर्व अधिकारी को संचालन का जिम्मा सौंपा गया था। आरबीआई ने 27 सितंबर को सीओडी को नियुक्त किया था। इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमार कालरा शामिल हैं।

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