Edited By vasudha,Updated: 12 Nov, 2018 06:24 PM
लगातार बढ़ती महंगाई ने जहां आम लोगों को झटका दिया है, वहीं औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में हुई बढ़ोतरी ने अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाई है। सितंबर में आईआईपी ग्रोथ 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि अगस्त में 4.3 फीसदी रही थी...
बिजनेस डेस्क: लगातार बढ़ती महंगाई ने जहां आम लोगों को झटका दिया है, वहीं औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में हुई बढ़ोतरी ने अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाई है। सितंबर में आईआईपी ग्रोथ 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि अगस्त में 4.3 फीसदी रही थी।
इस ग्रोथ की वजह माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और पावर जनरेशन के आंकड़े माने जा रहे हैं। महीने दर महीने आधार पर सितंबर में मैन्यूफैक्चरिंग की ग्रोथ 4.6 फीसदी पर बरकरार रही है जबकि इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ 7.6 फीसदी से बढ़कर 8.2 फीसदी और कैपिटल गुड्स की ग्रोथ 5 फीसदी से बढ़कर 5.8 फीसदी रही है।
सितंबर में इंटरमीडिएट गुड्स की ग्रोथ में गिरावट देखने को मिली है और ये अगस्त के 2.4 फीसदी से घटकर 1.4 फीसदी पर आ गई है। हालांकि मासिक आधार पर इस अवधि में कंज्यूमर ड्यूरबेल्स की ग्रोथ 5.2 फीसदी पर बरकरार रही है जबकि नॉन कंज्यूमर ड्यूरबेल्स सेक्टर की ग्रोथ अगस्त के 6.3 फीसदी से घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई है।
क्या होता है आईआईपी
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में खास महत्व होता है। इससे पता चलता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक (इंडस्ट्री) गतिविधियां किस गति से बढ़ रही है। आईआईपी के अनुमान के लिए 15 एजेंसियों से आंकड़े जुटाए जाते हैं। इनमें डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस, सेंट्रल स्टेटिस्टिकल आर्गेनाइजेशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी शामिल हैं।