Edited By rajesh kumar,Updated: 20 Aug, 2020 04:21 PM
जेके पेपर के अध्यक्ष भारत हरि सिंघानिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुए व्यवधान का दर्द विकसित देशों को लंबे समय तक महसूस होगा, जबकि उम्मीद है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था के चंद अग्रणी स्थानों में बना रहेगा।
नई दिल्ली: जेके पेपर के अध्यक्ष भारत हरि सिंघानिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुए व्यवधान का दर्द विकसित देशों को लंबे समय तक महसूस होगा, जबकि उम्मीद है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था के चंद अग्रणी स्थानों में बना रहेगा। सिंघानिया ने 2019-20 के लिए कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में शेयरधारकों से कहा कि महामारी ऐसे वक्त में आई, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था पहले ही विकास दर में कमी का अनुभव कर रही थी। उन्होंने कहा कि लगभग 170 देशों में, लोगों की औसत आय में पिछले साल की तुलना में गिरावट की आशंका है।
सिंघानिया ने कहा, ‘भारत में पूर्ण लॉकडाउन दुनिया में लागू किए गए सबसे कड़े प्रतिबंधों में एक था, जो लगभग 70 दिनों तक चला। इस दौरान करीब दो-तिहाई आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गईं।’ उन्होंने आगे कहा कि जबकि विकसित देशों में इस महामारी का दर्द लंबे समय तक महसूस किया जाएगा, भारत से उम्मीद है कि वह विश्व अर्थव्यवस्था के चंद अग्रणी स्थानों में बना रहेगा। उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से, कोविड-19 महामारी ऐसे समय में आई, जब भारतीय अर्थव्यवस्था पहले ही वृद्धि में कमी से जूझ रही थी, जैसा कि पिछले 12 महीनों के दौरान विवेकाधीन खर्च में कमी आने से परिलक्षित हुआ, खासतौर से ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता वस्तुओं और महंगी एफएमसीजी वस्तुओं में।’
विवेकाधीन खर्च में मूलभूत आवश्यताओं को छोड़कर शेष जरूरतों पर होने वाले खर्च को शामिल किया जाता है, जिन्हें जरूरत पड़ने पर टाला जा सकता है। उन्होंने उपभोक्ता मांग को फिर से बहाल करने के लिए सरकारी प्रोत्साहनों और राहत को महत्वपूर्ण बताया। जेके पेपर के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हर्ष पति सिंघानिया ने कहा कि कोविड-19 के चलते बाधाएं पैदा होने के बावजूद कंपनी तय विस्तार योजनाओं के अनुसार आगे बढ़ रही है, हालांकि इस दौरान बैंकों और वित्तीय संस्थानों का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि जेके पेपर अगले साल तक अपनी उत्पादन क्षमता को 4.5 लाख टन प्रति वर्ष (टीपीए) से बढ़ाकर 8 लाख टीपीए करने की दिशा में काम कर रहा है।