Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2023 01:50 PM
इस्राइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध का खामियाजा भारतीय निर्यातकों को भी उठाना पड़ सकता है। भारत से इजराइल को भारी मात्रा में सामान का निर्यात करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के कारण निर्यातकों को उच्च बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत का सामना...
बिजनेस डेस्कः इस्राइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध का खामियाजा भारतीय निर्यातकों को भी उठाना पड़ सकता है। भारत से इजराइल को भारी मात्रा में सामान का निर्यात करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के कारण निर्यातकों को उच्च बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत का सामना करना पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के जानकारों ने कहा कि अगर आगे युद्ध नहीं बढ़ता है, तो भारतीय निर्यातकों का मुनाफा भले ही कम हो जाए, निर्यात की मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा, भारत के वाणिज्यिक निर्यात के लिए युद्ध के कारण बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत में वृद्धि हो सकती है। भारत की ईसीजीसी इस्राइल को निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों से उच्च जोखिम प्रीमियम वसूल सकती है। ईसीजीसी लि. (पूर्व में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.) पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
टेक्नोक्रॉफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया के संस्थापक चेयरमैन व मुंबई स्थित निर्यातक शरद कुमार सराफ ने कहा, अगर संघर्ष तेज हुआ तो निर्यातकों के लिए हालात कठिन हो सकते हैं। जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगर इस्राइल के तीन बड़े बंदरगाहों-हाइफा, अशदोद और इलियत पर कामकाज अव्यवस्थित होता है, तो व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
अभी कामकाज प्रभावित नहीं
जीटीआरआई के सह-संस्थापक श्रीवास्तव ने कहा, अभी युद्ध से बंदरगाह के कामकाज के प्रभावित होने की खबर नहीं है। भारत-इस्राइल द्विपक्षीय सेवा व्यापार लगभग 1.3 अरब डॉलर होने का अनुमान है। अगर इस्राइल के बड़े क्षेत्रों तक युद्ध नहीं फैलता है, तो इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। असल प्रभाव युद्ध की अवधि और तीव्रता पर निर्भर है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में माल व सेवा क्षेत्रों में व्यापार 12 अरब डॉलर होने का अनुमान है।