जबरन GST वसूली पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र को दिया कड़ा निर्देश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 May, 2024 11:30 AM

supreme court strict on forced gst collection gave strict instructions

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती के अभियानों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार से जोर-जबरदस्ती और धमकी का तरीका न अपनाने का निर्देश दिया है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार,...

बिजनेस डेस्कः वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती के अभियानों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार से जोर-जबरदस्ती और धमकी का तरीका न अपनाने का निर्देश दिया है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च अदालत ने जीएसटी की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान ‘धमकी और जोर-जबरदस्ती’ का तरीका इस्तेमाल न करने का सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए।

अधिकारियों के पास बल के इस्तेमाल का अधिकार नहीं

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो। सर्वोच्च अदालत की यह पीठ जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की जांच कर रही है।

जबरिया कार्रवाई का न करें इस्तेमाल

पीठ ने कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को टैक्स देनदारी का भुगतान करने के लिए बाध्य करने की इस अधिनियम के तहत कोई शक्ति नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आपको कथित अपराधी को सोचने-समझने, सलाह लेने और देनदारी पूरी करने के लिए तीन-चार दिन का समय देना होगा। यह स्वैच्छिक होना चाहिए और किसी भी तरह की धमकी या जबरिया कार्रवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

जबरन वसूली मानक नहीं

केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जीएसटी वसूली के दौरान अतीत में बल प्रयोग होने की आशंका को खारिज न करते हुए कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं। उन्होंने जीएसटी अधिनियम पर चली लंबी सुनवाई में कहा कि वसूली के दोनों तरीकों की संभावना है लेकिन ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श लेने के कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं। हां, अतीत में कुछ उदाहरण हो सकते हैं लेकिन यह मानक नहीं है।

कारोबारियों को धमकी और गिरफ्तार में नहीं रख सकते

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के जवाब पर पर पीठ ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों पर तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान धमकी और जबरदस्ती करने के आरोप लगाए हैं। पीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि किसी व्यक्ति की तलाशी और जब्ती के दौरान क्या होता है यदि कर भुगतान से इनकार किया जाता है, तो आप संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा। आप उसे धमकी और गिरफ्तारी के दबाव में नहीं रख सकते हैं।

कानूनी प्रक्रिया के तहत करें कार्रवाई

जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई बार कथित अपराधी करों से बचने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं, तो पीठ ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करें लेकिन यह सख्ती से कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। जीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत गिरफ्तारी का प्रावधान है। एक याचिकाकर्ता के वकील सुजीत घोष ने कहा कि कानून के तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया गया है और इसके बजाय लोगों को भुगतान करने के लिए गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।

281 याचिकाओं पर सुनवाई

जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धनशोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि जीएसटी कानून में नियंत्रण एवं संतुलन का प्रावधान है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा उपाय किए गए हैं। धारा 69 (गिरफ्तार करने की शक्ति) और धारा 70 (समन करने की शक्ति) का कड़ाई से अनुपालन होना चाहिए। जब विधायिका ने सुरक्षा उपाय किए हैं, तो उन्हें कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है और यह गुरुवार को भी जारी रहेगी।
 

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