Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Oct, 2025 05:29 PM

केंद्र सरकार अब Amazon, Flipkart और अन्य ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों की सीओडी (कैश ऑन डिलीवरी) पर लगाई जाने वाली अतिरिक्त फीस की जांच कर रही है। सरकार यह देख रही है कि क्या कंपनियां ग्राहकों को प्रीपेड भुगतान के लिए मजबूर कर रही हैं और अगर ऑर्डर कैंसल हो...
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार अब Amazon, Flipkart और अन्य ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों की सीओडी (कैश ऑन डिलीवरी) पर लगाई जाने वाली अतिरिक्त फीस की जांच कर रही है। सरकार यह देख रही है कि क्या कंपनियां ग्राहकों को प्रीपेड भुगतान के लिए मजबूर कर रही हैं और अगर ऑर्डर कैंसल हो जाए तो रिफंड में देरी या रुकावट क्यों हो रही है।
मंत्रालय उपभोक्ता शिकायतों की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही ई-कॉमर्स कंपनियों, उपभोक्ता अधिकार संगठनों और उद्योग समूहों के साथ बातचीत करेगा ताकि ग्राहकों के अधिकार और कंपनियों की जरूरतों में संतुलन बनाया जा सके। वर्तमान में अमेजन सीओडी पर 7-10 रुपए चार्ज करता है, जबकि फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राई 10 रुपए अतिरिक्त लेते हैं।
फरवरी 2024 में 25 राज्यों के 35,000 ग्राहकों पर किए सर्वे के अनुसार, 65% ग्राहकों ने अपनी आखिरी ऑनलाइन खरीदारी में सीओडी का विकल्प चुना था। खासकर कम आय वाले परिवारों में डिलीवरी के बाद भुगतान करना अधिक लोकप्रिय है। खासकर फैशन और कपड़ों की खरीदारी में सीओडी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जिन परिवारों की सालाना आय 3.6 लाख रुपए से कम है, वे डिलीवरी के बाद पेमेंट करना ज्यादा पसंद करते हैं।
भारत का ई-कॉमर्स बाजार वर्तमान में 160 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक 345 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। बढ़ते बाजार और ऑनलाइन धोखाधड़ी की आशंका को देखते हुए सरकार इस मामले में सख्ती कर रही है।
इंडस्ट्री का कहना है कि सीओडी पर फीस का उद्देश्य बार-बार ऑर्डर कैंसल होने से रोकना है, जबकि उपभोक्ता संगठन इसे ग्राहकों के लिए परेशानी और उनके पैसे के ब्लॉक होने के रूप में देखते हैं। सरकार की जांच से उम्मीद है कि ऑनलाइन शॉपिंग और भरोसेमंद और सुरक्षित बनेगी।