Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Apr, 2019 11:56 AM
जेट एयरवेज को अब दिवाला कानून के तहत नोटिस मिला है। पिछले हफ्ते कम्पनी के एक सर्विस प्रोवाइडर ने इनसॉल्वैंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 यानी दिवाला कानून के तहत नोटिस भेजकर कहा कि अगर कम्पनी
जालंधर (अनिल सलवान): जेट एयरवेज को अब दिवाला कानून के तहत नोटिस मिला है। पिछले हफ्ते कम्पनी के एक सर्विस प्रोवाइडर ने इनसॉल्वैंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 यानी दिवाला कानून के तहत नोटिस भेजकर कहा कि अगर कम्पनी 10 दिनों के अंदर बकाया नहीं चुकाती है तो वह उसके खिलाफ कॉर्पोरेट इनसॉल्वैंसी रैजोलूशन प्रोसैस शुरू करेगी। इससे जेट को कर्ज देने वाले बैंकों पर और दबाव बढ़ेगा, जो कम्पनी को बचाने के लिए वित्तीय निवेशक और रणनीतिक खरीदार की तलाश कर रहे हैं।
जेट को यह नोटिस ऑप्रेशनल क्रैडिटर ‘मिराडॉर’ ब्रांड की तरफ से राजन राकेश एंड ब्रदर्स ने भेजा है। जेट पर उसका 25.68 लाख रुपए बकाया है। कम्पनी का कहना है कि उसे इस साल 2 जनवरी के बाद से जेट ने कोई भुगतान नहीं किया है।
अगर नैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) राजन राकेश एंड ब्रदर्स की याचिका को दिवाला कानून के तहत स्वीकार कर लेता है तो जेट को कर्ज देने वाले बैंकों को निवेशकों के साथ सौदा करने में दिक्कत हो सकती है। इतना ही नहीं इससे दूसरे ऑप्रेशनल क्रैडिटर्स भी दिवाला कानून के तहत बकाए की मांग शुरू कर सकते हैं।
इस मामले से वाकिफ एक सूत्र ने बताया कि ऐसी स्थिति में बैंकों को जेट को बकाएदारों का पैसा लौटाने में मदद करनी होगी या उन्हें दिवाला कानून के तहत लोन रिकवरी की प्रक्रिया टालने का अनुरोध करना होगा। अगर एन.सी.एल.टी. उनका अनुरोध स्वीकार नहीं करता है तो बैंकों की परेशानी बढ़ सकती है। वैसे भी निवेशक बैंकों से जेट की हिस्सेदारी कम दाम में बेचने की मांग कर रहे हैं। निवेशकों ने बैंकों से जेट के लिए अंतरिम फंडिंग की भी मांग की है।