Edited By Supreet Kaur,Updated: 22 Aug, 2018 02:00 PM
वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज की मुश्किलें और बढ़ सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक बिक्री, वितरण लागत और कमीशन को लेकर कंपनी लेखा परीक्षकों और विश्लेषकों के जांच के घेरे में आ गई है। सभी विमानन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक...
नई दिल्लीः वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज की मुश्किलें और बढ़ सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक बिक्री, वितरण लागत और कमीशन को लेकर कंपनी लेखा परीक्षकों और विश्लेषकों के जांच के घेरे में आ गई है। सभी विमानन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक इंडिगो और अन्य कंपनियां बिक्री और वितरण लागत पर अपने राजस्व का लगभग 2 से 4 फीसदी खर्च करती हैं जबकि इस मामले में जेट एयरवेज का खर्च सबसे ज्यादा 12 फीसदी है।
रिपोर्टों के मुताबिक जेट एयरवेज द्वारा बिक्री और वितरण लागत पर हर साल कम से कम दो लेनदेन और कंपनी की ओर से कंपनी जेट एयर प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए कमीशन ऑडिटर और विश्लेषकों की बढ़ती जांच के दायरे में आ रहे हैं। कंपनी का कहना है कि जेट एयर प्राइवेट लिमिटेड के साथ जो भी लेनदेन हुए हैं, वे नियमों के अनुसार हैं। यह इकाई जेट एयरवेज की एक सामान्य बिक्री एजेंट है। इसलिए हर साल उसे समझौते के अनुसार कमीशन दिया जाता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि कमीशन क्यों दिया गया था।
ताजा वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने बिक्री और वितरण लागत पर 28.26 अरब रुपए खर्च किए हैं, जो पिछले साल 25.31 अरब रुपए था। यह कंपनी के कुल परिचालन राजस्व का लगभग 12 फीसदी है, जबकि इसकी तुलना में स्पाइसजेट का खर्च 2 फीसदी और इंडिगो का 3.8 फीसदी है।