महंगाई की मार झेल रही आम जनता को झटका, अब महंगे होंगे AC और फ्रिज

Edited By Isha,Updated: 29 Nov, 2018 02:14 PM

lg and samsung s ac will be costlier these prices will also increase

महंगाई की मार झेल रही आम जनता को एक और बड़ा झटका लग सकता है। उद्योग सूत्रों ने बताया कि एलजी और सैमसंग सहित अन्य तमाम कंपनियां आगामी सप्ताहों में अपने उत्पादों के दाम कम से कम 3 से 5 फीसदी बढ़ा सकती हैं। कीमतों में

बिजनेस डेस्कः महंगाई की मार झेल रही आम जनता को एक और बड़ा झटका लग सकता है। उद्योग सूत्रों ने बताया कि एलजी और सैमसंग सहित अन्य तमाम कंपनियां आगामी सप्ताहों में अपने उत्पादों के दाम कम से कम 3 से 5 फीसदी बढ़ा सकती हैं। कीमतों में यह वृद्धि वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव सहित विभिन्न श्रेणियों में दिखेगी। दूसरी ओर एयर कंडिशनर (एसी) बनाने वाली कंपनियां दिसंबर में नए साल की अपनी इन्वेंटरी के लिए कीमतों में जबरदस्त वृद्धि करने की तैयारी में हैं। कंपनियों का कहना है कि इन उत्पादों में अधिक आयातित उपकरण होने के कारण वे दाम बढ़ाने के लिए मजबूर हैं।
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मुंबई की ब्रोकरेज फर्म एडलवाइस के अनुसार, 200 अरब रुपये के घरेलू एसी बाजार में आयातित उत्पादों की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है जो वाशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर के मुकाबले कहीं अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि कंज्यूमर ड्यूरेबल की तीन श्रेणियों में आयात मुख्य तौर पर चीन और थाइलैंड से किया जाता है। इसके अलावा ताइवान, कोरिया और जापान का भी इसमें उल्लेखनीय योगदान है।

सितंबर में केंद्र सरकार ने बढ़ाई थी कस्टम ड्यूटी
सितंबर में केंद्र सरकार ने रेफ्रिजरेटर, एसी और 10 किग्रा से कम क्षमता वाली वाशिंग मशीन के लिए बुनियादी सीमा शुल्क में 10 फीसदी वृद्धि की थी जिससे कुल लेवी बढ़कर 20 फीसदी हो गई। एसी और रेफ्रिजरेटर के कम्प्रेशर के लिए भी सीमा शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया था जबकि ऑडियो स्पीकर पर शुल्क को 5 फीसदी बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया जो पहले 10 फीसदी था।
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उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार 67 रुपये से प्रति डॉलर से ऊपर रहा है। उन्होंने कहा कि इसी स्तर पर लागत का आकलन किए जाने पर मार्जिन पर दबाव दिखा था। आयर अप्लायंसेज इंडिया के अध्यक्ष एरिक ब्रगेंजा ने कहा, 'हम अपने आयातित प्रीमियम श्रेणी के होम अप्लायंसेज के लिए कार्ड दरों (डिब्बे पर दर्ज कीमत) में महज 7 से 10 फीसदी वृद्धि की है।' उन्होंने कहा, 'हमारे मध्यम श्रेणी के अप्लायंसेज के लिए यह वृद्धि 4 से 5 फीसदी रही है।
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पिछले साल भी बढ़ाए थे दाम
पिछले साल सितंबर में कंज्यूमर ड्यूरेबल बनाने वाली कंपनियों ने रुपये में उतार-चढ़ाव के कारण उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तीन चरणों में अपने उत्पादों के दाम बढ़ाए थे। पिछले साल दिसंबर में सीमा शुल्क में वृद्धि की गई थी और उसके बाद फरवरी और सितंबर में भी शुल्क में वृद्धि की गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि आयात को हतोत्साहित करने के लिए स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना सरकार के लिए आसान नहीं है।

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