अप्रवासियों के समर्थन में उतरे माइक्रोसॉफ्ट के CEO, कहा- पनाह न देने वाले देशों को होगा नुक्सान

Edited By vasudha,Updated: 22 Jan, 2020 06:07 PM

microsoft ceo comes out in support of immigrants

नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को लेकर दि​ए गए बयान के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सत्या नडेला ने अप्रवासियों का समर्थन किया है। उनहोंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अप्रवासियों का समर्थन नहीं करने वाले देश ग्लोबल टेक इंडस्ट्री...

बिजनेस डेस्क: नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को लेकर दि​ए गए बयान के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सत्या नडेला ने अप्रवासियों का समर्थन किया है। उन्होंने  चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अप्रवासियों का समर्थन नहीं करने वाले देश ग्लोबल टेक इंडस्ट्री की ग्रोथ को जोखिम में डाल रहे हैं। हालांकि नडेला ने किसी देश का नाम नहीं लिया है। 

 

स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पहुंचे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ ने ब्लूमबर्ग मीडिया को एक इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी राय रखते हुए कहा कि सभी देश अपने हितों के बारे में फिर से विचार कर रहे हैं,लेकिन इस बारे में बहुत ज्यादा संकीर्ण सोच नहीं होनी चाहिए। किसी देश में अप्रवासी तभी जाएंगे जब वहां का माहौल अनुकूल होगा। 

 

बता दें कि नडेला उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि जो हो रहा है, वह दुखद है. मुझे लगता है कि यह बुरा है। मैं तो भारत आने वाले बांग्लादेशी शरणार्थी को भारत में अगला यूनिकॉर्न बनाने या इन्फोसिस का अगला सीईओ बनते देखना पसंद करूंगा, वह प्रेरणा होनी चाहिए। अगर मैं देखूं तो जो मेरे साथ अमेरिका में हुआ मैं वैसा भारत में होते हुए देखना चाहता हूं। 

 

नडेला के बयान के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने जारी बयान में कहा कि हर देश को अपनी सीमाओं को परिभाषित करना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए और उसके अनुरूप आव्रजन नीति निर्धारित करनी चाहिए।  लोकतंत्र में लोग और उनकी सरकारें इस पर बहस करें और सीमाओं को परिभाषित करें। मालूम हो कि नागरिकता कानून 10 जनवरी से प्रभावी हो गया. इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले यह इस तारीख तक भारत में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, पारसियों, जैनों और इसाईयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। 

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