Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2019 06:20 PM
केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार के विदेशी बाजार में सरकारी बॉन्ड बेचकर पैसे जुटाने की योजना की सफलता पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आशंका जताई है। राजन का कहना है कि सरकार की इस योजना से वास्तव में कोई लाभ नहीं होने...
नई दिल्लीः केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार के विदेशी बाजार में सरकारी बॉन्ड बेचकर पैसे जुटाने की योजना की सफलता पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आशंका जताई है। राजन का कहना है कि सरकार की इस योजना से वास्तव में कोई लाभ नहीं होने वाला है और यह कदम जोखिमों से भरा है। रघुराम राजन ने शनिवार को कहा, 'विदेश में बॉन्ड की बिक्री से घरेलू सरकारी बॉन्ड की मात्रा कम नहीं होगी, जिनकी बिक्री स्थानीय बाजार में करनी है। देश को निवेशकों के उस रुख की चिंता करनी चाहिए, जिसमें वे भारतीय अर्थव्यवस्था में बूम रहने पर खूब निवेश करते हैं और जैसे ही सुस्ती आती है, निवेश से कन्नी काट लेते हैं।'
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस महीने की शुरुआत में विदेश में सरकारी बॉन्ड बेचकर पैसे जुटाने की योजना की घोषणा का विपक्षी पार्टियों ने भी विरोध किया है। अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के समक्ष फंड जुटाने के विकल्प सीमित होने के बाद विदेश में बॉन्ड बेचने की योजना की घोषणा की गई है। चालू वित्त वर्ष में सरकार के रेकॉर्ड सात लाख करोड़ रुपए (103 बिलियन डॉलर) के कर्ज लेने की योजना से निवेशक भी चिंतित हैं।
राजन ने कहा, 'फॉरेन एक्सचेंज पर भारतीय बॉन्ड के कारोबार में आने वाली अस्थिरता क्या हमारे घरेलू प्रतिभूति बजार पर असर डाल सकती है?' उन्होंने कहा कि इस योजना के बदले भारत को फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के पंजीकरण के कायदे-कानून में सहूलियत देनी चाहिए और सरकारी बॉन्ड में निवेश की मौजूदा सीमा में बढ़ोतरी करनी चाहिए।'
आरबीआई के तीन पूर्व अधिकारियों ने भी केंद्र सरकार की इस योजना का विरोध किया है। उनका कहना है कि अभी इस योजना के क्रियान्वयन का वक्त नहीं है, क्योंकि भारत बड़े बजट घाटे से जूझ रहा है। भारत ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बजट घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.3% तय किया है, जो फरवरी में अंतरिम बजट में तय 3.4% के लक्ष्य से कम है।