निर्मला सीतारमण PSU बैंकों के चीफ से 23 अप्रैल को मिलेंगी, कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Apr, 2022 05:43 PM

nirmala sitharaman will meet the chief of psu banks on april 23

वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण सरकारी बैंकों के प्रमुखों से 23 अप्रैल को मिलेंगी। यह बैठक दिल्ली में होगी। वह बैंकों को उद्योग और कारोबार को पर्याप्त लोन देने के लिए कह सकती हैं। इसके अलावा वह सरकारी योजनाओं की प्रोग्रेस की भी समीक्षा करेंगी।

नई दिल्लीः वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण सरकारी बैंकों के प्रमुखों से 23 अप्रैल को मिलेंगी। यह बैठक दिल्ली में होगी। वह बैंकों को उद्योग और कारोबार को पर्याप्त लोन देने के लिए कह सकती हैं। इसके अलावा वह सरकारी योजनाओं की प्रोग्रेस की भी समीक्षा करेंगी। सरकार के कोरोना की मार से बेहाल इकोनॉमी को सहारा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

इस साल 1 फरवरी को बजट आने के बाद यह सरकारी प्रमुखों के प्रमुखों के साथ वित्तमंत्री की पहली व्यापक समीक्षा बैठक होगी। इस बार बजट में इमर्जेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी स्कीम (ECLGS) की अवधि बढ़ाकर मार्च 2023 कर दी गई है। ईसीएलजीएस की शुरुआत मई 2020 में हुई थी। तब से 25 मार्च तक 3.19 लाख करोड़ रुपए का लोन सैंक्शन किया गया है। इसके तहत 95 फीसदी गारंटी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को दिए गए लोन को दी गई है। 23 अप्रैल को होने वाली बैठक में इस फाइनेंशियल ईयर का एजेंडा तय होने की भी उम्मीद है।

सरकारी बैंकों के परफॉर्मेंस में इम्प्रूवमेंट आया है। लास्ट फाइनेंशियल ईयर में अप्रैल से दिसंबर के दौरान किसी सरकारी बैंक को लॉस नहीं हुआ है। इस दौरान सरकारी बैंकों ने 48,874 करोड़ रुपए का प्रॉफिट कमाया है। फाइनेंशिय ईयर 2020-21 में सरकारी बैंकों को 31,820 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। इससे पहले के पांच साल (2015-16 से 2019-20) में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था। सबसे ज्यादा 85,370 करोड़ रुपए का नुकसान 2017-18 में हुआ था।

पिछले पांच साल में सरकार ने सरकारी बैंकों को 3,10997 करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्थ कराई है। इसमें से 34,997 करोड़ रुपए बजट एलोकेशन के जरिए दिए गए थे। 2,76,000 करोड़ रुपए रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड्स के जरिए दिए गए थे।

प्राइवेट सेक्टर में बैंकों में अच्छी ग्रोथ के बावजूद अब भी देश के कुल बैंकिंग सिस्टम में सरकारी बैंकों की ज्यादा हिस्सेदारी है। सरकार इन बैंकों को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। कमजोर सरकारी बैंकों का विलय मजबूत सरकारी बैंकों में किया जा रहा है। इससे देश में सरकारी बैंकों की संख्या में कमी आई है।
 

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