Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Apr, 2018 07:21 PM
नकदी संकट का सामना करने वाले चीनी मिलों को संकट से निजात दिलाने के लिए खाद्य मंत्रालय की गन्ना उत्पादकों को सब्सिडी प्रदान करने की तत्काल कोई योजना नहीं है। मंत्रालय ने चीनी मिलों को चीनी
नई दिल्लीः नकदी संकट का सामना करने वाले चीनी मिलों को संकट से निजात दिलाने के लिए खाद्य मंत्रालय की गन्ना उत्पादकों को सब्सिडी प्रदान करने की तत्काल कोई योजना नहीं है। मंत्रालय ने चीनी मिलों को चीनी के अधिशेष स्टॉक को खत्म करने और घरेलू कीमतों में सुधार लाने के लिए 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने के लिए भी कहा है।
सितंबर में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष 2017-18 में घरेलू उत्पादन बढ़कर रिकॉर्ड 2.95 करोड़ टन होने की उम्मीद के बीच सरकार ने पहले से ही आयात शुल्क को दोगुना कर 100 प्रतिशत कर दिया है और चीनी पर 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क खत्म कर दिया है। इसके अलावा खाद्य मंत्रालय ने हाल ही में न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) योजना के तहत 2 लाख टन चीनी का निर्यात करने की अनुमति दी है और प्रत्येक चीनी मिल के लिए उनके उत्पादन स्तर के आधार पर एक अनिवार्य कोटा तय किया है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "अभी, उत्पादन से सम्बद्ध सब्सिडी देने की कोई तत्काल योजना नहीं बनाई है जो हमने कुछ साल पहले दी थी। हमने दो योजनाओं की घोषणा की है ताकि चीनी मिलों को अपने अतिरिक्त चीनी के स्टॉक का निर्यात करने में मदद मिले और इससे स्थिति में सुधार हो सके।" भारत का चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2016-17 के 2.03 करोड़ टन से काफी बढ़कर चालू विपणन वर्ष में 2.95 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है।
अधिकारी ने कहा कि चीनी की मौजूदा वैश्विक दर पर चीनी मिलों को 5-7 रुपए प्रति किग्रा का नुकसान होगा जिसकी भरपाई घरेलू बाजार में शेष स्टॉक को बेहतर दर पर बेचकर की जा सकती है। इसके अलावा, चीनी मिलें अगले 2 वर्षों के लिए शुल्क मुक्त आयात अधिकरण (डीएफआईए) योजना के तहत शून्य आयात शुल्क का लाभ ले सकती हैं।