Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 11:15 AM
नोटबंदी की वजह से मकानों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई और उनके दाम नीचे आए लेकिन रीयल्टी क्षेत्र को इसका काफी फायदा भी हुआ है। नोटबंदी की वजह से इस क्षेत्र में पारर्दिशता बढ़ी है। यह कहना है कि रीयल्टी डेवलपर्स और सलाहकारों का। पिछले साल आठ नवंबर...
नई दिल्लीः नोटबंदी की वजह से मकानों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई और उनके दाम नीचे आए लेकिन रीयल्टी क्षेत्र को इसका काफी फायदा भी हुआ है। नोटबंदी की वजह से इस क्षेत्र में पारर्दिशता बढ़ी है। यह कहना है कि रीयल्टी डेवलपर्स और सलाहकारों का। पिछले साल आठ नवंबर को अचानक 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद कर दिए जाने से जमीन और आलीशान मकानों के सौदे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। क्योंकि इस तरह के बड़े सौदों में आमतौर पर कालेधन का ज्यादा इस्तेमाल होता रहा है।
रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डी.एल.एफ. के सीईओ राजीव तलवार ने कहा यह भविष्य की दिशा में उठाया गया कदम है और इसका मकसद भारत को 1,000 से 1,500 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाना है। उन्होंने कहा कि पिछले साल यह जो कदम उठाया गया इसका नाम ‘ई-मौद्रीकरण’ रखा जाना चाहिए। उन्होंनें कहा कि इसका रीयल एस्टेट क्षेत्र में जो सकारात्मक असर पड़ है वह यह है कि अब दूसरे दर्जे का लेनदेन भी बैंकिंग चैनल के जरिए होने लगा है और इसमें नकदी उपलब्ध नहीं है। तलवार ने कहा कि आवासों की बिक्री पिछले चार-पांच साल से कम है और इसपर नोटबंदी का कोई असर नहीं है। रीयल एस्टेट की परियोजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया को बेहतर किया जाना चाहिए।
रीयल एस्टेट क्षेत्र के संगठन नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान केवल नोटबंदी ही नहीं हुई बल्कि कई और बड़े नीतिगत कदम उठाए गए हैं। इस दौरान रेरा का क्रियान्वयन हुआ, कराधान क्षेत्र में सुधार हुआ और जी.एस.टी. भी लागू हुआ। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहा जाए तो ‘‘इनका इन सभी के लागू होने से शुरुआती परेशानियां रहीं हैं लेकिन सौभाग्य की बात है कि अब तक सभी चीजें नियंत्रण में हैं। नोटबंदी से रीयल एस्टेट क्षेत्र में बेहतर क्षमता और पारर्दिशता आई है और हम इसका स्वागत करते हैं।’’