लॉकडाउन का असरः मजदूरों की भारी कमी के कारण थम गई देश के उद्योगों की रफ्तार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Apr, 2020 01:10 PM

pace of the country s industries came to a standstill due to the acute

कोरोना वायरस के कारण हुए 21 दिन के लॉकडाउन में कई उद्योगों की जैसे रफ्तार ही थम गई है। मजदूरों के घर जाने से कुछ जगह तो आधे-अधूरे तरीके से काम हो रहा है तो कहीं काम ही अटक गया है।

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के कारण हुए 21 दिन के लॉकडाउन में कई उद्योगों की जैसे रफ्तार ही थम गई है। मजदूरों के घर जाने से कुछ जगह तो आधे-अधूरे तरीके से काम हो रहा है तो कहीं काम ही अटक गया है।  

लोहा इस्पात उद्योग
लोहा इस्पात उद्योग भी मजदूरों की कमी को झेल रहा है। सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि लोहा इस्पात उद्योग आवश्यक सेवा क्षेत्र में आता है, इसीलिए उनके स्टील प्लांट चल रहे हैं। पर वहां पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं आ पाते। जो उनकी टाउनशिप में रहते हैं, वह तो आ जाते हैं, लेकिन टाउनशिप के बाहर रहने वाले मजदूरों का प्लांट तक आना संभव नहीं है क्योंकि बाहर लॉकडाउन है, यदि कोई लॉकडाउन को तोड़े तो उसे पुलिस की ज्यादती झेलनी पड़ती है। इसीलिए जैसे तैसे प्रोडक्शन करना पड़ रहा है।

PunjabKesari

ई-कामर्स
ई-कॉमर्स क्षेत्र डिलीवरी करने वाले लोगों की भीषण कमी महसूस कर रहा है। उन्हें जरूरत के मुकाबले कुछ लोग ही मिल पा रहे हैं। ऊपर से पुलिस प्रशासन के लोग भी उन्हें रोक रहे हैं। ई-कॉमर्स ऐप बिग बास्केट के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तो सुधर गई है, लेकिन डिलीवरीमैन की कमी भीषण खल रही है। उनका कहना है कि सामानों की सोर्सिंग से ज्यादा लोग घर घर सामान पहुंचाने में आवश्यक है। लेकिन इन्हीं की कमी हो गई है, इसलिए उन्हें आर्डर भी रुक रुक कर लेना पड़ता है।

PunjabKesari

रिटेल
रिटेल क्षेत्र में मजदूरों की कमी से खूब प्रभावित हुआ है। आलम यह है कि बढ़ी हुई मजदूरी पर भी इन्हें कम से कम लोगों के साथ काम चालाना पड़ रहा है। इन दिनों जर्मन होलसेलर मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया अपने कर्मचारियों को वेतन के अलावा 500 रुपए रोज दे रही है, तो डी मार्ट वेतन के अलावा 400 रुपए। आदित्य बिरला समूह का मोर रिटेल भी कर्मचारियों को लगभग दूने वेतन दे रहा है। तब भी पर्याप्त मजदूर नहीं मिल रहे हैं। बिग बाजार जैसी रिटेल कंपनी तो उन्हें घर से लाने और छोड़ने का भी काम भी कर रही है, तब पर भी मजदूरों का टोटा है।

PunjabKesari

प्लास्टिक प्रोसेसर
इन दिनों लगभग देशभर में प्लास्टिक प्रोसेसर का काम ठप है। कहीं प्लास्टिक पैकेजिंग और प्रोसेसिंग कंपनियां या फर्म चल भी रहे हैं, तो वहां बेहद कम क्षमता में काम हो रहा है। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ प्लास्टिक प्रोसेसर ऑफ इंडिया के महासचिव दीपक लावले का कहना है कि मजदूरों की कमी बड़ा मसला है। उनके अधिकतर सदस्य कुछ मजदूरों के साथ उत्पादन जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं , लेकिन तब भी आधे से ज्यादा उत्पादन ठप हैं।

फसल की कटाई
रबी फसलों की कटाई लॉक डाउन से काफी प्रभावित है। जब लॉक डाउन की घोषणा हुई थी, उस समय पूरे भारत में रबी फसलों की कटाई का मौसम था। उत्तर भारत में स्थिति इसलिए ज्यादा खराब है, क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान कटाई के लिए बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि के मजदूरों पर निर्भर हैं। कोरोना वायरस की वजह से काफी मजदूर अपने गांव चले गए हैं। इसलिए इन्हें अब बचे खुचे मजदूरों से काम चलाना पड़ रहा है और उन्हें ठहर ठहर कर फसलों की कटाई करनी पड़ रही है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!