बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ग्रीन, अंबर जोन में श्रमबल बढ़ाने की अनुमति दी जाए: पारले

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 May, 2020 12:28 PM

permit to increase workforce in green amber zone to meet growing demand parle

बिस्कुट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी पारले प्रोडक्ट्स का मानना है कि ग्रीन और अंबर क्षेत्रों में विशेष रूप से खाने-पीने का सामान बनाने वाली कंपनियों के कारखानों में श्रमिकों की सीमा पर अंकुश को हटाए जाने की जरूरत है।

नई दिल्लीः बिस्कुट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी पारले प्रोडक्ट्स का मानना है कि ग्रीन और अंबर क्षेत्रों में विशेष रूप से खाने-पीने का सामान बनाने वाली कंपनियों के कारखानों में श्रमिकों की सीमा पर अंकुश को हटाए जाने की जरूरत है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस वजह से मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में आगे उत्पादों की कमी की स्थिति बन सकती है। 

पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में श्रमिकों का पलायन हो गया है। ऐसे में श्रमबल की उपलब्धता चुनौती है। शाह ने कहा कि सरकार को खाद्य क्षेत्र की कंपनियों को ऐसे कारखानों में 100 प्रतिशत श्रमबल के इस्तेमाल की अनुमति देनी चाहिए जो नियंत्रण वाले और रेड जोन में नहीं आते हैं। हालांकि, इसके लिए सख्त मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। शाह ने कहा, ‘‘एक मोर्चे पर प्रवासी श्रमिक उपलब्ध नहीं हैं लेकिन ग्रीन और अंबर जोन में श्रमिक मुद्दा नहीं हैं। यहां मुद्दा 50 प्रतिशत श्रमबल का इस्तेमाल करने का सरकारी आदेश है।'' 

उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत श्रमबल की सीमा की वजह से कंपनियों के लिए कारखानों में उत्पादन बढ़ाना मुश्किल हो रहा है। ‘‘यह सही है, हमें इससे दिक्क्त नहीं है। हम सरकार से सिर्फ यह आग्रह कर रहे हैं कि कम से कम खाद्य उद्योग को इसमें कुछ ढील दी जाए क्यों यह पूरी तरह श्रम आधारित उद्योग है।'' इस मुद्दे के महत्व को रेखांकित करते हुए शाह ने कहा कि 50 प्रतिशत श्रमबल अंकुश की वजह से हम अपनी 60 से 65 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर बाजार में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर पड़ेगा। यदि आप हमें 80, 90 या 100 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन की अनुमति नहीं देते हैं तो मांग बढ़ने पर आपको उत्पाद बाजार में नहीं दिखेंगे। कुछ श्रेणियों में ऐसा होने भी लगा है। 

पारले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बाजार में हमारे उत्पाद काफी सीमित हैं। ‘‘सुबह आपको कोई उत्पाद दिखाई देगा, दोपहर या शाम तक वह नहीं मिलेगा। पर्याप्त मात्रा में उत्पादन की सुविधा होनी चाहिए, अन्यथा बाजार में उत्पादों की कमी पैदा हो जाएगी।''

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