Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 10:37 AM
11,400 करोड़ के बैंक घोटाले में आरोपी नीरव मोदी की अलग-अलग संपत्तियों और कम्पनियों की जांच की जा रही है। परत-दर-परत जिन कम्पनियों के राज खुल रहे हैं उनमें सबसे ऊपर आती है जानी-मानी ज्वैलरी कम्पनी गीतांजलि जैम्स। जांच में सामने आया है कि वित्तीय...
नई दिल्लीः 11,400 करोड़ के बैंक घोटाले में आरोपी नीरव मोदी की अलग-अलग संपत्तियों और कम्पनियों की जांच की जा रही है। परत-दर-परत जिन कम्पनियों के राज खुल रहे हैं उनमें सबसे ऊपर आती है जानी-मानी ज्वैलरी कम्पनी गीतांजलि जैम्स। जांच में सामने आया है कि वित्तीय ढांचे के हिसाब से गीतांजलि जैम्स इस घोटाले में शामिल है और उसके मार्फत कई गड़बड़ियां की गईं।
वर्ष 2017 की ‘एनुअल रिपोर्ट’ के आधार पर कम्पनी आर्थिक दबाव से गुजर रही है। कम्पनी में कर्ज अतिदेय हो रहे हैं यानी कि अवधि पर भुगतान नहीं हो पा रहे। यही स्थिति ऋणपत्र (डिबैंचर्स) के भुगतान की भी है। कम्पनी ने कार्यशील-पूंजी (वर्किंग-कैपिटल) की सीमा से भी ज्यादा कर्ज बैंकों से ले रखा है। ये सभी तथ्य कम्पनी के ऑडिटर्स द्वारा ऑडिट रिपोर्ट के जरिए सूचित किए जा चुके हैं। यह देखते हुए लगता है कि गीतांजलि जैम्स से पैसा रिकवर करना मुश्किल है।
सी.ए. डी.के. मिश्र के अनुसार बैलेंस शीट को देखने पर यह प्रतीत होता है कि कम्पनी का ज्यादातर कारोबार कार्यशील पूंजी आधारित है और वर्ष 2017 में कुल 16,573 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ, पर बाजार से 12,828 करोड़ रुपए की वसूली लेनी दिखाई गई है, जिसका मतलब है कि उधार की बिक्री में ज्यादा धन लगा है। इन देनदारों की गुणवत्ता व उगाही के बारे में इस वक्त कहना कठिन होगा। हालांकि फंड्स की तरलता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि डिबैंचर का मात्र 1.48 करोड़ रुपए का भुगतान कम्पनी समय से न कर सकी। 2017 की किताबों में कुल कर्ज 7950 करोड़ रुपए दिखाया गया है और देयता 8246 करोड़, यानी कम्पनी की कुल देनदारी 16,196 करोड़ रुपए बनती है, जो वर्तमान वर्ष में और बढ़ी ही होगी। जहां तक कारोबार से आमदनी का प्रश्न है, कम्पनी का कुल मुनाफा 167 करोड़ रुपए का है, उसे और समायोजन के बाद यह 22.50 करोड़ रुपए के घाटे में बदल जाता है।
निवेशकों का भरोसा डगमगाया
जानकारी के मुताबिक कम्पनी का शेयर मध्य जनवरी से अब तक लगभग 45 प्रतिशत गिर चुका है और घोटाला उजागर होने के बाद से निरंतर यह लुढ़क ही रहा है। सी.बी.आई. द्वारा एफ.आई.आर. में लगभग 5000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। अगर आरोप साबित हुआ तो कम्पनी की विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। वैसे भी निवेशक का इस घटनाक्रम के बाद से ही विश्वास डगमगा-सा गया है और वे इस कम्पनी में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। गत शुक्रवार को इसका मार्कीट कैपीटलाइजेशन घटकर 445 करोड़ रुपए हो गया है। अगर कम्पनी इस घोटाले में शामिल पाई गई तो परिणाम और बदतर
जब्त की गई संपत्तियों व स्टॉक की वसूली कीमत
यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि कम्पनी की चल संपत्ति जैसे गोल्ड व डायमंड की बिक्री मूल्य में ब्रैंडिंग व डिजाइनिंग की कीमत व मार्कअप जुड़ा होता है। एजैंसीज द्वारा जब्त स्टॉक के ऑक्शन या वसूली पर वास्तविक मूल्य ही मिलेगा। इसी तरह अचल संपत्ति भी कम कीमत पर ही बिकती है। ज्यादातर देखा गया है कि जब्त सम्पत्ति औने-पौने दाम पर ही बिकती है।