Edited By rajesh kumar,Updated: 22 Aug, 2020 05:13 PM
बिजली मंत्रालय ने बिजली उत्पादक और पारेषण कंपनियों को सलाह दी है कि वे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के देर से भुगतान करने पर उनसे विलंब शुल्क के तौर पर 12 प्रतिशत से अधिक अधिभार न लें।
नई दिल्ली: बिजली मंत्रालय ने बिजली उत्पादक और पारेषण कंपनियों को सलाह दी है कि वे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के देर से भुगतान करने पर उनसे विलंब शुल्क के तौर पर 12 प्रतिशत से अधिक अधिभार न लें।
कोविड-19 महामारी के चलते इस क्षेत्र में जारी तनाव के देखते हुए यह बात कही गई है। इस समय विलंब शुल्क के कई मामलों में अधिभार की दर प्रति वर्ष 18 प्रतिशत है और इससे लॉकडाउन के दौरान डिस्कॉम पर बुरा असर पड़ा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस कदम का मकसद डिस्कॉम पर वित्तीय बोझ को कम करना है, जो इससे उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘बिजली मंत्रालय ने सभी उत्पादक कंपनियों और पारेषण कंपनियों को सलाह दी है कि देर से भुगतान की स्थिति में आत्मनिर्भर भारत के तहत पीएफसी और आरईसी की नकदी निवेशन योजना (एलपीएस) के तहत किए जाने वाले सभी भुगतान पर अधिभार 12 प्रतिशत प्रति वर्ष (साधारण ब्याज) से अधिक न लिया जाए।’ आमतौर पर एलपीएस की दर काफी अधिक होती है, जबकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में ब्याज दरें काफी कम हुई हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते डिस्कॉम की नकदी स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा है। हालांकि, सरकार ने उन्हें राहत देने के कई उपाए किए हैं।