Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Jan, 2020 05:47 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठा रहा है। खबर है कि अब इन बैंकों को अपना चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर चुनने के पहले केंद्रीय बैंक से मंजूरी लेनी पड़ सकती है।
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठा रहा है। खबर है कि अब इन बैंकों को अपना चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर चुनने के पहले केंद्रीय बैंक से मंजूरी लेनी पड़ सकती है। पिछले साल में को-ऑपरेटिव बैंकों में हुई गड़बड़ियों को देखते हुए RBI ने अपना सुपरविजन बढ़ाने का फैसला किया है।
Times of India की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने UCBs के बेहतर नियमन के लिए नई गाइडलाइंस बनाई हैं, जिसमें यह नियम भी बनाया गया है 100 करोड़ से ज्यादा के डिपॉजिट साइज़ वाले को-ऑपरेटिव बैंक अपने CEO नियुक्त करने से पहले RBI से मंजूरी लेंगे।
इसके पहले RBI ने सिंगल बॉरोअर को कर्ज देने पर एक लिमिट तय किया है और UCBs के lending requirements के लिए प्रायोरिटी सेक्टर को बढ़ाने के बाद अब केंद्रीय बैंक ने यह निर्देश दिया है।
सेंट्रल बैंक ने मंगलवार को बैंकों के लिए बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (BoM) गठित करने संबंधित फाइनल गाइडलाइंस जारी की हैं। ये बोर्ड, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (BoD) के बाद गाइडलाइन में अगला कदम है। हालांकि, ये गाइडलाइन 100 करोड़ से कम के डिपॉजिट साइज वाले बैंकों और सैलरी अर्नर बैंकों पर लागू नहीं होगा।
गाइडलाइंस के तहत RBI ने UCBs के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वो BoM गठित करें, जो उनके नए ब्रांच खोलने या फिर लीडरशिप में किसी तरह का एक्सपेंशन करने के लिए अप्रूवल लेगा।
गाइडलाइन में यह नियम है कि बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को रिपोर्ट करेगा और UCBs के बैंकिंग से जुड़े फंक्शन्स को देखेगा। इसके अलावा इसका काम BoD को पॉलिसी बनाने की प्रक्रिया में मदद करेगा और BoD की ओर से बैंक से ऑपरेशन से जुड़ा कोई भी काम देखेगा।