Edited By Rahul Singh,Updated: 06 Oct, 2023 10:13 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य (Monetary Policy Statement) की घोषणा करेगा, जिस पर वित्तीय बाजार सहभागियों की नजर रहेगी। शुक्रवार सुबह आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार यानी कि आज अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य (Monetary Policy Statement) की घोषणा करेगा, जिस पर वित्तीय बाजार सहभागियों की नजर रहेगी। शुक्रवार सुबह आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक पर वित्तीय बाजार सहभागियों की पैनी नजर है।
इन बैठकों के दौरान, केंद्रीय बैंक विभिन्न आर्थिक संकेतकों पर विचार-विमर्श करता है, जिसमें ब्याज दरें, धन आपूर्ति, मुद्रास्फीति दृष्टिकोण और व्यापक आर्थिक रुझान शामिल हैं। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, अनुमान है कि आरबीआई मौजूदा प्रमुख रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखेगा। एसबीआई रिसर्च के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित रिपोर्ट में मुद्रास्फीति की कम होती मौसमी प्रकृति के कारण ब्याज दर में लंबे समय तक ठहराव का सुझाव दिया गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आरबीआई का रुख समायोजन वापस लेने पर केंद्रित होना चाहिए, क्योंकि यह संभावना नहीं है कि 2023-24 वित्तीय वर्ष के शेष के लिए मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से नीचे गिर जाएगी। अप्रैल, जून और अगस्त में अपनी पिछली तीन बैठकों में आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को ऋण देता है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का भी अनुमान है कि मौद्रिक नीति समिति अक्टूबर की बैठक में नीतिगत दर को बरकरार रखेगी। क्रिसिल की अगस्त की रिपोर्ट जिसका शीर्षक 'रेटव्यू - निकट अवधि दरों पर क्रिसिल का दृष्टिकोण' है, सुझाव देती है कि 2024 की शुरुआत में 25 आधार अंक की दर में कटौती एक सशर्त संभावना है।
क्या है रेपो रेट?
बता दें कि जिस तरह आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक तय ब्याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह पब्लिक और कमर्शियल बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है और रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती हैं।