दिल्ली-मुम्बई: 2 शहरों के रियल एस्टेट का हाल

Edited By ,Updated: 31 Dec, 2016 12:23 PM

real estate  license

दिल्ली व मुम्बई देश के दो प्रमुख महानगर हैं और दोनों की जनसंख्या बेहद सघन है। दिल्ली देश की राजधानी है तो मुम्बई को वित्तीय राजधानी माना जाता है।

नई दिल्लीः दिल्ली व मुम्बई देश के दो प्रमुख महानगर हैं और दोनों की जनसंख्या बेहद सघन है। दिल्ली देश की राजधानी है तो मुम्बई को वित्तीय राजधानी माना जाता है। 

दोनों महानगरों में कुछ प्रमुख अंतर हैं जैसे कि
* मुम्बई एक टापूनुमा शहर है जो देश की मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। इस कारण यहां जनसंख्या का घनत्व, संरचनात्मक ढांचे तथा सार्वजनिक सुविधाओं पर दबाव दिल्ली की अपेक्षा बहुत अधिक है।
* दिल्ली के विपरीत मुम्बई में विकास के लिए रिक्त भूमि की आपूॢत बेहद सीमित है। ऐसे में मुम्बई के डिवैल्पर्स को ज्यादा जोर रिडिवैल्पमैंट तथा स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (झुग्गी बस्ती का पुर्निवकास) परियोजनाओं पर होता है। दूसरी ओर दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एन.सी.आर. फैल रहा है जिससे विकास के लिए नई भूमि की आपूर्ति भी हो रही है। 
* मुम्बई में रहने का खर्च दिल्ली से ज्यादा है परंतु दिल्ली के लोगों द्वारा स्वयं किया जाने वाला खर्च मुम्बई की तुलना में अधिक है। 
* रियल एस्टेट के लिहाज से मुम्बई की अपेक्षा दिल्ली विशेषकर एन.सी.आर. सहित किफायती है। 
* उपरोक्त बातों के प्रभाव से मुम्बई में गत दशकों के दौरान सम्पत्ति की कीमतों में अत्यधिक तेजी देखने को मिली है। तैयार व न बिक सकी सम्पत्तियों की संख्या दोनों ही शहरों में बढ़ गई है। इसके बावजूद जानकारों को लगता है कि मुम्बई रियल एस्टेट बाजार अभी भी दिल्ली की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा। इन शहरों के रियल एस्टेट बाजार में निवेश करने का फैसला लेने से पूर्व कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

लोकेशन तथा इंफ्रास्ट्रक्चर कनैक्टिविटी
यह एक मुख्य मुद्दा है जिसका ध्यान किसी भी शहर के रियल एस्टेट बाजार में निवेश करते वक्त रखना चाहिए। अपने रहने के लिए पैसा लगा रहे लोगों को अपने कार्यस्थल, कारोबार, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों तथा अन्य सामाजिक संरचनाओं से करीबी जरूरी हो जाती है।वहीं निवेश के मकसद से पैसा लगा रहे लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिस इलाके की सम्पत्ति को वे खरीद रहे हैं वहां पर विकास हो रहा है तथा प्रमुख संरचनाएं अवश्य विकसित हो चुकी हों। इससे भविष्य में वहां सम्पत्ति की मांग में तेजी आने की पूरी सम्भावनाएं होती हैं जिससे सम्पत्ति की कीमतों में भी वृद्धि होती रहती है।

खरीदें या किराए पर लें
यह बात अपने रहने के लिए सम्पत्ति खरीदने के इच्छुक लोगों पर लागू होती है। इसके लिए अपनी दीर्घकालीन जरूरतों का ध्यान रखना आवश्यक है। साथ ही इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि आपका बजट खरीदने के लिए उपयुक्त है या आपका किराए पर रहना ही किफायती साबित होगा।

डिवैल्पर का ट्रैक रिकॉर्ड देखें
बड़े शहरों में निवेश करने से पहले डिवैल्पर्स का ट्रैक रिकॉर्ड अवश्य जांच लेना चाहिए। उसकी पूर्व परियोजनाओं को लेकर लोगों को ज्यादा शिकायतें तो नहीं हैं, वह समय पर कब्जा देता है या नहीं से लेकर उसकी बनाई परियोजनाओं में निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान देना भी आवश्यक है। उसी डिवैल्पर की परियोजना में पैसा लगाएं जिसका कामकाज पारदर्शी तथा बाजार में उसकी प्रतिष्ठा हो।

स्वीकृतियां तथा लाइसैंस
जिस आवासीय परियोजना में पैसा लगाने का आपने फैसला किया है उसके पास सभी जरूरी स्वीकृतियां होनी चाहिएं। इस बाबत सभी कागजों व दस्तावेजों की पड़ताल करें। टाइटल डीड, रिलीज सर्टीफिकेट, भूमि उपयोग संबंधी सूचना, स्थानीय निकाय की स्वीकृति भी जरूरी है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह पक्का कर लेना चाहिए कि जिस आवासीय परियोजना में आप पैसा लगाने जा रहे हैं। उसके पास निर्माण संबंधी सभी जरूरी स्वीकृतियां हों ताकि बाद में किसी तरह के विवाद की वजह से कोई समस्या न पैदा हो जाए। 

बैंक व वित्तीय संस्थान
यह भी पता कर लें कि आपकी पसंद वाली परियोजना को बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान ने होम लोन हेतु स्वीकृति दे रखी है। ऐसा होने पर आप काफी हद तक निश्चिंत हो सकते हैं क्योंकि ये बैंक ऐसी स्वीकृति पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही प्रदान करते हैं। साथ ही उस पर आसानी से होम लोन मिल जाने का भी भरोसा हो जाता है।

स्वयं निरीक्षण अवश्य करें
विज्ञापनों तथा सैम्पल फ्लैट आदि पर ही विश्वास करना काफी नहीं होता। जिस भी सम्पत्ति में पैसा लगाने जा रहे हैं उसके संबंध में धरातल पर जाकर पूरा निरीक्षण स्वयं करना चाहिए। आसपास रहने वाले लोगों से उक्त परियोजना व इलाके के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें। इससे आपको किसी भी समस्या अथवा विवाद के बारे में भी पता लग सकता है। 

कुल लागत का पता करें
आमतौर पर डिवैल्पर्स सम्पत्ति का मोटा-मोटा मूल्य बताते हैं जबकि सम्पत्ति पर कई तरह के शुल्क अदा करने होते हैं। इन्हें भी ध्यान में पहले ही रखना अच्छा है। सभी खर्चों तथा शुल्कों के साथ सम्पत्ति के मूल्य को मिला कर उसे खरीदने पर आने वाली कुल लागत का पता चल सकता है। इससे आप अपने बजट को सही ढंग से तैयार कर पाएंगे।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!