8 जून से खुल रहे हैं रेस्टोरेंट, लेकिन मालिक हैं परेशान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jun, 2020 11:38 AM

restaurants are opening from june 8 but the owners are upset

लॉकडाउन के दौरान रेस्टोरेंट खोले जाने की अनुमति के बाद कई रेस्टोरेंट कारोबारियों का कहना है कि ग्राहकों की संख्या की सीमा तय किए जाने से उनका व्यवसाय घाटे का सौदा हो जाएगा और इन्हें बंद रखना ही बेहतर होगा।

नई दिल्लीः लॉकडाउन के दौरान रेस्टोरेंट खोले जाने की अनुमति के बाद कई रेस्टोरेंट कारोबारियों का कहना है कि ग्राहकों की संख्या की सीमा तय किए जाने से उनका व्यवसाय घाटे का सौदा हो जाएगा और इन्हें बंद रखना ही बेहतर होगा। रेस्टोरेंट मालिकों ने संकेत दिया कि बाहर जाकर भोजन करना अब भी दूर की बात है और घर पर भोजन पहुंचाना जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की Standard operating procedure का कोई मतलब नहीं है क्योंकि नकदी संकट से जूझ रहा उद्योग विस्तारित लॉकडाउन से सावधानी पूर्वक बाहर निकल रहा है और अपने भविष्य की योजना बना रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कुछ एसओपी जारी की थी, इनके जरिए अगले हफ्ते रेस्टोरेंट में बैठ कर भोजन करने वाले व्यक्तियों की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की गई है। ये रेस्टोरेंट गृह मंत्रालय के एक पूर्व के आदेश के मुताबिक है।

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छह फुट की दूरी जरूरी
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का जिक्र करते हुए एसओपी में रेस्टोरेंट के अंदर और कतार में कम से कम छह फुट की दूरी रखे जाने का दिशा निर्देश दिया गया है। ज्यादातर पाबंदियों की जरूरत को स्वीकार करते हुए उद्योग के अंदर के लोगों ने कहा कि रेस्टोरेंट में बैठ कर भोजन करने वाले लोगों की संख्या आधा करना व्यवहारिक नहीं है।

50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति
दिल्ली, मुंबई स्थित प्लम बाई बेंट चेयर, लॉर्ड ऑफ द ड्रिंक्स और तमाशा जैसे रेस्टोरेंट चेन के मालिक प्रियंक सुखीजा ने कहा कि एसओपी विस्तारित लॉकडाउन से कहीं अधिक नुकसानदेह है। सुखीजा ने कहा, 'बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता के साथ करीब 80 प्रतिशत रेस्टोरेंट बाद में खुलने के बाद भी भवन किराया, कर्मचारियों के वेतन और बिजली बिल के कारण घाटे का सौदा हो जाएंगे।'

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खुले स्थानों का इस्तेमाल करने की मिले इजाजत
उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके रेस्टोरेंट बंद रहेंगे। वह अपने प्रत्येक बड़े रेस्टोरेंट के लिए औसतन 12 लाख रुपए मासिक किराया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि गुड़गांव की तरह दिल्ली सरकार को उनके खुले स्थानों का उपयोग करने की इजाजत देनी चाहिए। सुखीजा ने कहा, 'यदि आप बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता और लोगों के भोजन के लिए बाहर जाना चाहते हैं तो रेस्टोरेंट को अपने खुले स्थान का उपयोग करने की इजाजत देनी चाहिए या उन्हें सार्वजनिक जमीन देनी चाहिए। उन्हें उस तरह की एक नीति बनानी होगी क्योंकि यह लॉकडाउन से अधिक नुकसानदेह है।'

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बार अभी भी बंद रहेंगे
अभी जो नियम लागू होंगे वे दो सरकारी आदेशों से लिए गए हैं, ये चार जून के एसओपी और 30 मई का गृह मंत्रालय का आदेश है। इसके जरिए रेस्टोरेंट को आठ जून से खोले जाने की इजाजत दी गई थी। इस बात का भी जिक्र किया गया था कि बार बंद रहेंगे। नैशनल रेस्टोरेंट असोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) प्रमुख अनुराग कतरियार के अनुमान के मुताबिक ढाई महीने के लॉकडाउन में रेस्टोरेंट क्षेत्र को 80,000 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान हुआ है।

रेस्टोरेंट का अलग-अलग आकार है
एनआरएआई इंडिया फूड सर्विसेज रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारतीय रेस्टोरेंट उद्योग में 2018-19 में 73 लाख लोग नियोजित हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बैठने की क्षमता के बारे में नहीं है। उन्होंने कहा, 'जहां तक बैठने की बात है, एसओपी में सिर्फ दो चीजों का जिक्र है-बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता और छह फुट की दूरी। लेकिन रेस्टोरेंट विभिन्न आकार के हैं। अब, यदि कोई रेस्टोरेंट 10 फुट चौड़ा और 15 फुट लंबाई के आकार वाला है तो वहां दो से अधिक मेज नहीं लग सकती है।' हालांकि, उन्होंने नये दिशानिर्देशों को सही दिशा में तार्किक कदम बताया।

अभी रेस्टोरेंट चलाना घाटे का सौदा
मैसिव रेस्टोरेंट प्रॉइवेट लिमिटेड के संस्थापक जोरावर कालरा ने कहा कि वह समझते हैं कि एसओपी मौजूदा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए जारी किये गये, जब देश कोविड-19 के बढ़ते मामलों से निपटने के लिये संघर्ष कर रहा है। हालांकि, 50 प्रतिशत ग्राहक क्षमता के साथ रेस्टोरेंट चलाना घाटे का सौदा है। रेस्टोरेंट खोले जाने की समय सीमा रात नौ बजे तक सीमित रखने और बार पर पाबंदियां अन्य चिंताएं हैं।
  

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